बाकू, 28 जुलाई . 19 साल की दिव्या देशमुख ने फिडे महिला चेस वर्ल्ड कप (एफआईडीई 2025) जीतकर इतिहास रच दिया है. वह पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने यह प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया है. फाइनल में उनका मुकाबला किसी और से नहीं, बल्कि भारत की टॉप खिलाड़ी कोनेरू हम्पी से था. बाकू में हुए ऑल-इंडियन फाइनल में दिव्या ने कोनेरू हम्पी को रैपिड टाई-ब्रेक में 1.5–0.5 से हराया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि के लिए दिव्या को बधाई दी और हम्पी की उनके शानदार प्रयास के लिए सराहना की.
फाइनल से पहले Saturday और Sunday को खेले गए गेम ड्रॉ रहे, जिसमें दोनों खिलाड़ियों ने शानदार खेल दिखाया. पहले गेम में दिव्या ने सफेद मोहरों से खेलते हुए मजबूत स्थिति बनाई, लेकिन हम्पी ने अंत में बराबरी कर ली. Sunday का दूसरा गेम संतुलित था. हालांकि दिव्या ने कहा कि वह बेवजह मुश्किल में पड़ गईं और फिर उन्होंने अपनी पकड़ बनाए रखी.
टाई-ब्रेक में दिव्या ने कमाल कर दिया. पहला रैपिड गेम ड्रॉ रहा, लेकिन दूसरे में हम्पी समय के दबाव में गलतियां कर बैठीं, जिनका दिव्या ने फायदा उठाया. उन्होंने जीत हासिल की और 2025 महिला विश्व कप चैंपियन बनीं. वह महिला ग्रैंडमास्टर का खिताब जीतने वालीं भारत की चौथी और देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए खिलाड़ियों को उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन पर बधाई दी. उन्होंने पोस्ट में लिखा, “दो शानदार भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का एक ऐतिहासिक फाइनल मुकाबला! युवा दिव्या देशमुख के एफआईडीई महिला विश्व शतरंज चैंपियन 2025 बनने पर गर्व है. इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई. यह जीत कई युवाओं को प्रेरित करेगी.”
पीएम मोदी ने आगे लिखा, “कोनेरू हम्पी ने भी पूरी चैंपियनशिप में बेहतरीन कौशल का प्रदर्शन किया है. दोनों खिलाड़ियों को उनके भविष्य के इवेंट्स के लिए शुभकामनाएं.”
फाइनल के बाद दिव्या ने कहा, “यह किस्मत का खेल था. टूर्नामेंट से पहले मैं सोच रही थी कि शायद ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल कर लूं और फिर आखिरकार मैं ग्रैंडमास्टर बन गई.”
दिव्या देशमुख के चैंपियन बनने पर उनके परिवार में खुशी का माहौल है. उनकी चाची डॉ. स्मिता देशमुख ने कहा, “दिव्या की कड़ी मेहनत, उनके माता-पिता के त्याग और इस साल उनके द्वारा खेले गए बेहतरीन खेल की कड़ी मेहनत अब सबके सामने आ रही है. हमें दिव्या के आने का इंतजार है और यह हमारे परिवार के लिए खुशी का पल है.”
दिव्या देशमुख की जीत इसलिए और भी खास है क्योंकि उनके सामने मुश्किल चुनौती थी. टाई-ब्रेक में वह एक अंडरडॉग के रूप में उतरी थीं, जबकि कोनेरु हम्पी दो बार की विश्व रैपिड चैंपियन और क्लासिकल शतरंज में विश्व नंबर 5 हैं. वहीं, दिव्या एफआईडीई महिला रैंकिंग में क्लासिकल में 18वें, रैपिड में 22वें और ब्लिट्ज में 18वें स्थान पर थीं.
नागपुर की दिव्या की यह जीत उनकी शानदार उभरती प्रतिभा का सबूत है. पिछले साल उन्होंने विश्व जूनियर चैंपियनशिप जीती थी. 2024 में बुडापेस्ट में हुए शतरंज ओलंपियाड में उन्होंने भारत के स्वर्ण पदक जीतने में अहम भूमिका निभाई थी. बाकू में उनकी जीत ने उन्हें शतरंज की दुनिया में उभरता सितारा बना दिया है.
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एफएम/एएस