जम्मू-कश्मीर : ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहीं अखनूर की महिलाएं

अखनूर, 20 दिसंबर . नियंत्रण रेखा से सटे देश के आखिरी गांव में महिला सशक्तिकरण की मिसाल देखने को मिल रही है. जम्मू-कश्मीर के अखनूर की महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर बनकर कमाई कर रही हैं.

अखनूर की महिलाएं सरकार की योजनाओं से जुड़कर छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू कर रही हैं. इससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है. इससे महिलाएं ना सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं, बल्कि समाज में एक सशक्त पहचान भी मिल रही है. महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर न केवल अपनी आय बढ़ाई हैं, बल्कि अन्य गांव की महिलाओं को रोजगार देने का काम कर रही हैं.

नियंत्रण रेखा के आखिरी गांव पल्लनवाला की रहने वाली रोहिणी देवी ने शुक्रवार को से बात करते हुए खुद के आत्मनिर्भर बनने की कहानी सुनाई. उन्होंने बताया, “शुरुआत में इस काम को लेकर कई तरह की कठिनाइयां आईं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे, जब महिलाओं ने मेरे साथ जुड़ना शुरू किया और देखा कि यह काम उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता दे रहा है, तो सबका उत्साह और बढ़ा.”

उन्होंने कहा, “हम मिलकर मसाले बनाने का काम करते हैं, और इससे हमें अच्छी आय हो रही है. पहले घर के खर्चे के लिए दिक्कत होती थी, लेकिन अब हम अपनी मेहनत से घर की जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं और बागवानी विभाग के सहयोग से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और उन्हें उनकी मेहनत का फल मिल रहा है.”

गांव की ही एक अन्य महिला, ने बताया, “पहले हम केवल घरेलू कामों तक सीमित थे, लेकिन अब हम काम करने के साथ-साथ अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. जब से रोहिणी देवी ने इस काम की शुरुआत की, हमारे जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है. अब हम सिर्फ परिवार की देखभाल तक सीमित नहीं होकर अपने पैरों पर खड़ी हो रहे हैं. हम सभी महिलाएं मिलकर इस काम को आगे बढ़ा रही हैं, जिससे महीने में अच्छी आमदनी हो रही है. यह हमारी मेहनत और एकजुटता का परिणाम है, और हम अपने जीवन में आए इस बदलाव से बहुत खुश हैं.”

बागवानी विभाग के अधिकारी अमित सराफ ने बताया कि “विभाग की योजनाएं महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित कर रही हैं. रोहिणी देवी ने बागवानी विभाग की सहायता से मसाला बनाने की मशीन ली है, जिसमें 60 प्रतिशत सब्सिडी दी गई थी. विभाग की ओर से महिलाओं को आधुनिक तकनीक और मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है, जिससे वे अपने काम को और बेहतर बना सकें.”

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