नाहन/शिमला, 15 जनवरी . राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बनाए गए स्वयं सहायता समूह महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहे हैं. इन समूहों से जुड़कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. ग्रामीण तबकों में रहने वाली महिलाएं जो अपने हुनर को दुनिया के सामने लाना चाहती हैं, वह इन समूहों से जुड़कर अपने हुनर को तराश रही हैं.
इससे वह अच्छी आमदनी भी कर रही हैं. परिवार का पालन-पोषण भी ठीक ढंग से कर रही हैं.
हिमाचल प्रदेश के नाहन की एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि स्वयं सहायता समूह में हम सभी लोग मिलकर अचार, पापड़ सहित अन्य उत्पाद बनाने का काम करते हैं. इस समूह में हम बहुत ही मेहनत के साथ काम कर रहे हैं. एसडीएम की मदद से स्टॉल लगाने के लिए जगह मुहैया कराई गई, जो हमारे लिए काफी फायदेमंद रही है. हम रोजाना अपना सामान लाते हैं और यहां बिक्री कर वापस घर लौट जाते हैं.
उन्होंने बताया कि इस समूह से जुड़कर महिलाओं को काफी अच्छा लग रहा है, क्योंकि रोजगार मिलने के साथ ही वो अपने उत्पादों को लोगों के बीच लेकर जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि समय-समय पर जिला अधिकारियों द्वारा आर्थिक मदद भी की जाती है. महिलाएं यह काम करके अच्छी आमदनी कर रही हैं और मेहनत करके आगे बढ़ रही हैं.
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि जिला स्तर पर अधिकारियों की ओर से काफी सपोर्ट मिल रहा है. हमें अपना स्टॉल लगाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है. हम आसानी से अपना स्टॉल लगा लेते हैं.
बता दें कि ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ के तहत हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. महिलाएं आम तौर पर अचार, पापड़, जूस, टमाटर की चटनी बनाकर बिक्री के लिए रखती हैं. इसे खरीदने वालों की काफी भीड़ भी उमड़ती है. जो एक बार उनके उत्पाद को खरीदता है, वो बार-बार अपने मनपसंद सामान की खरीदारी करने पहुंचता है. उनका यह काम दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहा है.
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डीकेएम/एबीएम