अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप जीतना मेरे लिए अब तक का सबसे सुखद क्षण : परूनिका सिसोदिया

नई दिल्ली, 7 फरवरी . क्रिकेट की दुनिया में ऐसे पल बहुत कम होते हैं, जब कोई खिलाड़ी सच्ची खुशी महसूस करता है. लेकिन परूनिका सिसोदिया के लिए भारत को अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप जिताना उनकी जिंदगी का सबसे खुशहाल पल था.

2 फरवरी को कुआलालंपुर के बायूएमास ओवल मैदान पर जब सानिका चालके ने मोनालिसा लेगोडी की गेंद पर चौका लगाया, तो भारत ने 2025 अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप जीत लिया. इससे दो साल पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीका में यह खिताब अपने नाम किया था और अब इस जीत से उन्होंने अपनी बादशाहत बरकरार रखी.

परूनिका ने से खास बातचीत में बताया, “जब वह विजयी शॉट लगा, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसा पहले कभी नहीं हुआ था. इस विश्व कप को जीतना मेरे लिए एक सपना था. पहले संस्करण में मैं टीम का हिस्सा नहीं बन पाई थी, लेकिन इस बार मैंने टीम के लिए खेला और यह खिताब जीतकर मुझे सिहरन हो रही थी. अब भी जब मैं इसके बारे में बात कर रही हूं, तो रोंगटे खड़े हो रहे हैं. यह मेरी जिंदगी का सबसे यादगार पल था.”

विश्व कप जीतने के बाद भारतीय टीम में जबरदस्त जश्न मना. परूनिका ने कहा, “हम नहीं जानते थे कि हम क्या कर रहे हैं. बस खुशी के मारे हाथ उठा रहे थे, हंस रहे थे और उस पल को जी रहे थे. टीम के खिलाड़ियों ने मैदान पर खूब मस्ती की. कोई जमीन पर लेट गया, कोई नाचने लगा. उन्होंने कई मजेदार तस्वीरें खिंचवाईं, भाविका आहिरे का हार्दिक पांड्या स्टाइल सेलिब्रेशन भी शामिल था. आपने हमारी ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर जरूर देखी होंगी, और आगे भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा.”

परूनिका के लिए यह सफर आसान नहीं था. 2023 में टीम में जगह न बना पाने का दर्द उन्हें अब भी याद है, लेकिन 2025 के इस टूर्नामेंट में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से 10 विकेट चटकाए और टीम की जीत में अहम योगदान दिया.

उन्होंने कहा, “पिछले दो सालों में मैंने सिर्फ यही सोचा कि मैं अपनी टीम के लिए कैसे उपयोगी बन सकती हूं. जब विश्व कप आया, तो मैंने देखा कि मैं वही कर रही थी जो मैंने सीखा था. मुझे बहुत खुशी हुई कि अब जब मैं घर लौटूंगी, तो अपने प्रदर्शन के वीडियो देखकर संतुष्टि मिलेगी कि मैंने कुछ हासिल किया है.”

इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम दबाव में थी, क्योंकि विपक्षी टीम की शुरुआती जोड़ी मजबूती से खेल रही थी. तभी परूनिका ने आकर दो विकेट चटकाए और बाद में एक और विकेट लेकर 3-21 का शानदार स्पेल फेंका, जिससे उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का पुरस्कार मिला.

हालांकि, टीम के अंदर किसी भी तरह का तनाव नहीं था. परूनिका ने बताया, “लोगों को बाहर से लग सकता था कि हम दबाव में हैं, लेकिन टीम के भीतर माहौल बहुत शांत था. हमें पता था कि बस एक अच्छी गेंद की जरूरत है, और हम वापसी कर लेंगे. जब मैं गेंदबाजी करने आई, तो मुझे अपनी टीम का पूरा भरोसा था कि अगर मैं वहां हूं, तो सब ठीक रहेगा.”

भारत के लगातार दूसरे अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने में एक बड़ी भूमिका बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाजों की रही, जिन्होंने एक मजबूत इकाई की तरह प्रदर्शन किया. वैष्णवी शर्मा ने 17 विकेट लेकर टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लिए, जबकि आयुषी शुक्ला ने 14 विकेट हासिल किए. इन दोनों के साथ परूनिका भी प्रतियोगिता की शीर्ष चार विकेट लेने वाली खिलाड़ियों में शामिल रहीं.

परूनिका ने बताया, “हम तीनों इतने समय से साथ खेल रहे हैं कि अब हम परिवार जैसे हो गए हैं. जब भी कोई विकेट लेता था, तो हमें लगता था कि यह हमारी पूरी टीम की सफलता है. विश्व कप के दौरान जब कोई भी गेंदबाजी कर रहा होता था, तो हम एक-दूसरे की आंखों में देखते और समझ जाते थे कि सामने वाला क्या कहना चाहता है.”

उन्होंने आगे कहा, “हमारे स्पिन गेंदबाजों के बीच सबसे खास बात यही थी कि हम एक-दूसरे की रणनीति समझते थे और जानते थे कि अगली गेंद पर क्या करना है. जिस तरह हमारी बल्लेबाजी में साझेदारी देखने को मिली, वैसे ही हमारी गेंदबाजी भी एक टीम की तरह रही.”

बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण ने नॉकआउट मुकाबलों से पहले भारतीय टीम का हौसला बढ़ाया. परूनिका ने बताया, “उन्होंने हमें कई अच्छी बातें बताईं, लेकिन सबसे अहम यह था कि हमें शांत रहना है, चीजों को आसान बनाए रखना है और ज्यादा सोचने या जरूरत से ज्यादा प्रयास करने से बचना है. यह सलाह फाइनल और सेमीफाइनल में हमारे बहुत काम आई.”

इसके अलावा, भारत की कप्तान निकी प्रसाद का शांत स्वभाव भी टीम के लिए बहुत मददगार रहा. परूनिका ने निकी के बारे में कहा, “वह सबसे शांत स्वभाव वाली व्यक्ति हैं जिनसे मैं मिली हूं. कई बार ऐसा हुआ कि हमने कोई गलती कर दी, जिससे कोई भी नाराज हो सकता था, लेकिन निकी ने हमेशा बहुत शांत प्रतिक्रिया दी. उन्होंने हमें डांटने की बजाय सही रास्ता दिखाया और सकारात्मक सुझाव दिए, जिससे हमें आत्मविश्वास मिला और हम अपना सर्वश्रेष्ठ दे सके.”

उन्होंने आगे कहा, “हमने दो बड़ी ट्रॉफियां जीती हैं – एक आईसीसी की और एक एसीसी की. अब हम महिला क्रिकेट में यह परंपरा बनाना चाहते हैं कि हम लगातार जीतते रहें. निकी हमेशा कहती हैं कि हमें डोमिनेट करना है, बेझिझक खेलना है और बिना किसी डर के अपना सर्वश्रेष्ठ देना है. यही मानसिकता हमें सफलता दिला रही है और हम अब आगे की चुनौतियों के लिए तैयार हैं.”

हर खेल से पहले, परूनिका हमेशा अपने पिता सुधीर सिंह सिसोदिया का मार्गदर्शन लेती हैं. उनके पिता एक क्रिकेट कोच हैं और उन्होंने ही 2018 में उन्हें टेनिस से क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया था.

परूनिका ने कहा, “मेरे पिता घर पर सभी की भावनाओं के बारे में ज्यादा बात नहीं करते थे. हमारी केवल एक ही बातचीत होती थी – वह हमेशा मुझे कहते थे ‘सर्वश्रेष्ठ करो, अच्छा खेलो, खेल का आनंद लो और वहां खुद बनो.’ एशिया कप से लेकर विश्वकप तक, हर एक दिन यह बातचीत होती रही है. उन्होंने मुझे आगे बढ़ने, अच्छा करने के लिए कहा, और अगर हम जीत भी रहे थे, तो उन्होंने बस यही कहा कि जो हुआ वह बीत गया.”

परूनिका की महत्वाकांक्षाएं बड़ी हैं. उनकी नजरें भारत की सीनियर महिला टीम के लिए खेलने जैसे बड़े लक्ष्यों पर टिकी हैं. वह यह भी जानती हैं कि अपने मुख्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्थिर प्रगति आवश्यक है.

उन्होंने अंत में कहा, “स्पष्ट रूप से, सीनियर टीम में प्रवेश करना मुख्य लक्ष्य है. लेकिन अभी के लिए, मुझे लगता है कि मेरे सामने फिलहाल काफी घरेलू क्रिकेट है जिस पर मैं ध्यान केंद्रित करूंगी. फिर हमारे पास यह एमर्जिंग एशिया कप है, इसलिए, मैं इस पर भी नजर रख रही हूं.”

एएस/