‘अनुच्छेद 370’ हटते ही जम्मू-कश्मीर में चल पड़ी विकास की बयार

नई दिल्ली, 23 फरवरी . जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को केंद्र के दोनों सदनों द्वारा 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया. केंद्र के इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर अन्य राज्यों की तरह सामान्य राज्य बन गया और यह केंद्र के अधीन आ गया. ऐसे में धारा 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई. कोर्ट ने इस पर सुनवाई भी की और अंततः कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को एकदम सही माना. हालांकि अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ शाह फैसल और जेएनयू की छात्रा शेहला राशिद भी अदालत पहुंची थी लेकिन, दोनों ने अपना अर्जी वापस ले ली थी.

आदित्य धर कश्मीर की अनुच्छेद 370 पर केंद्रित एक फिल्म ‘आर्टिकल 370’ लेकर आए हैं. जो शुक्रवार 23 फरवरी को ही सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस फिल्म में यामी गौतम, अरुण गोविल, किरण करमाकर नजर आ रहे हैं. फिल्‍म में अरुण गोविल पीएम नरेंद्र मोदी और किरण करमाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका में दिख रहे हैं. फिल्‍म में कश्मीरी पंडितों के पलायन, पथराव की घटनाएं, हत्याएं, पाकिस्तान से आतंकवादियों की मिलीभगत आदि कुछ घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है. इसके साथ ही अनुच्छेद 370 के बाद कश्मीर में बदले हालात पर भी इसमें प्रकाश डाला गया है.

इस फिल्म को देखने के बाद जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष और मुस्लिम एक्टिविस्ट शेहला रशीद जो कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह की जमकर आलोचना करती थी और अदालत तक का दरवाजा इस फैसले के खिलाफ खटखटाया था अब दोनों की तारीफ करते नहीं थक रही हैं. वह कहती हैं कि घाटी से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार का एकदम सही कदम था और इससे कश्मीर में शांति आई है.

वह फिल्म ‘आर्टिकल 370’ देखने के बाद कहती हैं कि कश्मीर गाजा नहीं है और कश्मीर में हुए बदलाव का श्रेय पीएम मोदी और अमित शाह को जाता है. वह सरकार की तरफ से कश्मीर समस्या का समाधान ढूंढने को लेकर उनका शुक्रिया भी अदा करती हैं. इससे पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शेहला ने एक्स (ट्विटर) पर अपनी बात लिखी थी और कश्मीर को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह के काम करने के तरीके की तारीफ की थी. शेहला ने लिखा था कि कश्मीर में मानवाधिकार रेकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं. सरकार ने एक ही कोशिश में कश्मीरियों की पहचान के संकट को खत्म कर दिया. कश्मीर की नई पीढ़ी को अब संघर्ष के माहौल में बड़ा नहीं होना पड़ेगा.

जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद से निवेशकों का आकर्षण घाटी की तरफ बढ़ा है. यहां निवेश के साथ ही यहां के बुनियादी ढांचे के विकास के साथ व्यापार को भी बल मिला है. यहां की जीएसडीपी 5 अगस्त 2019 की तुलना में दोगुनी से ज्यादा हो गई है. एक लाख करोड़ से यह आंकड़ा सीधे 2.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया है.

उद्योगों, कृषि, बागवानी, पर्यटन के साथ ही सेवा के क्षेत्र में भी निवेश बढ़ा है. रेलवे और हवाई नेटवर्क को यहां लगातार बढ़ाया और अपग्रेड किया जा रहा है. राज्य की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा तेजी से बढ़ी है. घाटी में पत्थरबाजी, आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है और कामकाजी माहौल बहाल हुआ है. घाटी पूरी तरह से शांत है. यहां तेज गति से विश्व स्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस वे, सुरंग, पुल, फ्लाईओवर, रिंग रोड बन रहे हैं.

आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान जम्मू-कश्मीर में 2153.45 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जो पिछले दशक में किसी भी वित्तीय वर्ष की तुलना में सबसे अधिक है. इसके अतिरिक्त, 7096 करोड़ रुपये के निवेश और 21,076 लोगों को रोजगार देने वाली 169 इकाइयों ने जमीनी स्तर पर यहां काम शुरू कर दिया है और जल्द ही यहां इन कंपनियों में उत्पादन शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही घाटी के लिए 87,923 करोड़ रुपये के निवेश के 6231 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और जिससे 3,92,162 रोजगार पैदा होने की संभावना है.

जीकेटी/