कैंब्रिज दौरा : क्या राहुल गांधी एक बार फिर तो नहीं देंगे विवादित बयान?

नई दिल्ली, 27 फरवरी . राहुल गांधी के नेतृत्व में इस वक्त कांग्रेस पार्टी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ लेकर देश में निकली हुई है. उनकी यह न्याय यात्रा पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से शुरू होकर अब उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गई है. इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी की न्याय यात्रा को 5 दिन के लिए 26 फरवरी से एक मार्च तक विराम दिया गया है. इसकी जानकारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दी.

दरअसल, राहुल गांधी न्याय यात्रा के बीच एक बार फिर ब्रिटेन के दौरे पर निकल गए हैं. जहां वह मशहूर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में मंगलवार और बुधवार को अपना आख्यान देंगे. ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई है कि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी अपना क्या ज्ञान छात्रों को देने वाले हैं, क्या वह फिर से विदेशी धरती से भारत का अपमान करेंगे? क्या एक बार फिर वह भारत की सरकार और यहां के लोकतंत्र को लेकर विवादित बयान देने वाले हैं?

वैसे राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के कई ऐसे नेता हैं, जो देश के बाहर अलग-अलग मंचों से इस तरह के भारत विरोधी बयान देते हैं. राहुल गांधी की तरह ही कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर भी हैं, जो पाकिस्तान में जाकर भारत के खिलाफ बयान देते रहे हैं.

राहुल गांधी विदेशी जमीन से बार-बार भारत सरकार और यहां के लोकतंत्र को लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर चुके हैं और कई ऐसे बयान दे चुके हैं, जिसका सच्चाई से कोई वास्ता ही नहीं रहा है. उनके कई बयान तो ऐसे हैं, जिससे लगता है कि वह देश विरोधी ताकतों को इसके जरिए शह देने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी विदेश की धरती से भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नफरती बयानबाजी भी करते रहे हैं.

इससे पहले साल 2023 में उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार और आरएसएस पर निशाना साधा था. राहुल गांधी ने अपने लेक्चर में देश के लोकतंत्र को खतरे में बताया था. इसके अलावा संसद, न्यायपालिका और इलेक्शन कमीशन, अल्पसंख्यकों पर हमले के साथ-साथ पेगासस के जरिए उनकी और विपक्षी नेताओं की जासूसी करवाने का आरोप लगाया था.

वैसे आप एक बार ध्यान से राहुल की लंदन यात्रा को देखें तो पता चलेगा कि राहुल कैसे विदेशों में बैठे भारत विरोधी लोगों के साथ मिलते हैं.

दरअसल, राहुल गांधी जब भी लंदन जाते हैं, तो वह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रेजिडेंट कमल धालीवाल से जरूर मिलते हैं. वह राहुल गांधी के बेहद करीबी भी माने जाते हैं. बता दें कि यह वही कमल धालीवाल हैं, जिन्होंने लंदन में लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन से मुलाकात की थी, उनके साथ जनरल सेक्रेटरी गुरमिंदर रंधावा भी मौजूद थे. कमल धालीवाल ने इन लोगों से कश्मीर के हालात और मानवाधिकार को लेकर चर्चा की थी. जेरेमी कॉर्बिन ने इस मुलाकात की फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जिसको लेकर काफी बवाल मचा था.

भाजपा के कई नेताओं ने इस फोटो को शेयर करते हुए तब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया था. विवाद बढ़ने के बाद इस मामले में कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी. पार्टी के दिग्गज नेता आनंद शर्मा ने इस मुद्दे पर सफाई दी थी और कहा था कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित कोई भी मसला भारत का आंतरिक मामला है.

इसके अलावा और भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि राहुल गांधी विदेशी धरती पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश करते रहे हैं. साल 2023 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के दौरे पर गए राहुल गांधी ने भारतीय मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर ऐसा बयान दिया था, जिसके बाद देश में भारी बवाल मच गया था. इस बयान को देकर मानो राहुल गांधी ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी भी मार ली थी.

दरअसल, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘मोहब्बत की दुकान’ कार्यक्रम में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ”आज भारत में मुसलमानों के साथ जो हो रहा है, वह 1980 के दशक में दलितों के साथ हुआ था और इसके खिलाफ हमें प्यार से लड़ना होगा.”

राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा ही नहीं बल्कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर ही सवाल खड़े किए थे. उन्होंने 1984 में हुए सिख नरसंहार और कांग्रेस शासन में हुई हिंसा की याद राहुल गांधी को दिलाई थी.

वहीं, जून 2023 में अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान राहुल गांधी की सुनीता विश्वनाथ से मुलाकात हुई थी. जो हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) की सह-संस्थापक हैं. इसके साथ ही वह इंडियन अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल जैसे कट्टर संगठनों के कार्यक्रमों से भी जुड़ी हैं. यह वही संगठन है, जिसने राहुल गांधी की अदालत के फैसले के बाद संसद की सदस्यता जाने पर सवाल खड़े किए थे, इतना ही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति से इस मामले में दखल देने की मांग की थी.

सुनीता विश्वनाथ पर जॉर्ज सोरोस की एजेंट होने के भी आरोप लगते रहे हैं. उनकी अफगान विमेन फॉरवर्ड को सोरोस से फंड मिलने के भी आरोप हैं. बता दें कि जॉर्ज सोरोस 92 वर्षीय अमेरिकी अरबपति हैं. जॉर्ज सोरोस पर चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के भी आरोप दुनियाभर से लग चुके हैं.

वहीं, राहुल गांधी के न्यूयॉर्क में चार जून 2023 को आयोजित कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं में तंजीम अंसारी का नाम भी सामने आया था, जो जमात-ए-इस्लामी संगठन से जुड़ा हुआ है. इस संगठन का काम इस्लाम की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना है. इसके अलावा, राहुल गांधी ने अमेरिका के राजदूत टिमोथी रोमर से कहा था कि हिंदू कट्टरवाद देश के लिए लश्कर-ए-तैयबा से ज्यादा बड़ा खतरा हो सकता है. विकिलीक्स के मुताबिक, यह बातें कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टिमोथी रोमर से साल 2009 में कही थी. उस वक्त देश में यूपीए की सरकार थी.

राहुल गांधी तो विदेश की धरती पर भारत में आतंकी संगठन आईएसआईएस के बनने का जिक्र भी कर चुके हैं. उन्होंने बयान देते हुए कहा था कि अगर विकास की प्रक्रिया से लोगों को बाहर रखा गया तो इसी तरह के हालात देश में पैदा हो सकते हैं. उन्होंने कहा था, लोगों को बाहर रखना 21वीं सदी में बेहद खतरनाक है. अगर 21वीं सदी में आप लोगों को नजरिया नहीं देते हैं तो कोई और देगा.

राहुल गांधी इसके साथ ही लंदन में आरएसएस की तुलना अरब देशों के आतंकी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से कर बैठे थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में चीन को शांति पसंद भी बता चुके हैं. वहीं, वह जम्मू-कश्मीर को तथाकथित हिंसक जगह भी विदेश की जमीन पर बता चुके हैं.

राहुल गांधी ने 2022 में ब्रिटेन का दौरा किया था और लंदन में आयोजित आइडियाज फॉर इंडिया सम्मेलन में भारत के खिलाफ बोलते हुए कहा था कि भारत की जमीन बीजेपी के हमलों से त्रस्त है और भाजपा भारत की आवाज को दबा रही है. उन्होंने इस दौरान बिना नाम लिए सीबीआई और ईडी जैसी स्वतंत्र संस्थाओं को भी विदेश में बदनाम करने की कोशिश करते हुए भारत की तुलना पाकिस्तान से कर डाली थी.

2018 में राहुल गांधी ब्रिटेन और जर्मनी के दौरे पर थे और तब भारत में बेरोजगारी के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने पीएम मोदी को तानाशाह कहा था. वहीं, इसी साल मलेशिया में राहुल गांधी ने नोटबंदी के खिलाफ जमकर सरकार पर हमला बोला था.

इसके साथ ही सिंगापुर में ली कुयान स्कूल में आयोजित एक पैनल डिस्कशन में राहुल गांधी ने कहा था कि हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया जा रहा है. बहरीन में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत सरकार लोगों के बीच नफरत फैला रही है.

इसके साथ ही 2017 में अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में कहा था कि मोदी सरकार हिंसा को बढ़ावा दे रही है और अहिंसा का विचार खतरे में है.

एसके/एबीएम