केरल में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद, क्या सीएम विजयन पर लगाम लगा पाएगी माकपा ?

तिरुवनंतपुरम, 21 जून . लोकसभा चुनाव में मिली हार और अन्य मुद्दों पर माकपा की पांच दिवसीय समीक्षा बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की कार्यशैली पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया.

गुरुवार को संपन्न हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री विजयन के सख्त व्यवहार के कारण चुनाव में हार होने के बारे मेें पूछे जाने पर राज्य पार्टी सचिव एम.वी. गोविंदन ने इस मुद्दे को टाल दिया, लेकिन मुख्यमंत्री पर निगरानी रखने के लिए उच्च स्तरीय पार्टी समिति बनाने का निर्णय सीएम के अधिकार को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीत होता है.

26 अप्रैल को अपने गृहनगर कन्नूर में वोट डालने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री विजयन ने विश्वास व्यक्त किया था कि लेफ्ट फ्रंट ऐतिहासिक जीत के लिए तैयार है. लेकिन, चुनाव में माकपा के नेतृत्व वाले लेेेफ्ट को केवले एक सीट मिली, भाजपा ने पहली बार राज्य में अपना खाता खोला और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ ने 18 सीटें जीतीं.

इन घटनाओं के बाद, भाकपा नेताओं के बीच खुसर-फुसर शुरू हो गई. इसमें एक वर्ग ने खुले तौर पर चुनावी हार के लिए सीएम विजयन की शासन शैली को जिम्मेदार ठहराया. पराजय पर चर्चा करने के लिए माकपा की पांच दिवसीय बैठक के दौरान, सीएम विजयन दो बार के पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक और अन्य लोगों की आलोचना के बावजूद चुप रहे. आलोचकों ने सीधे सीएम और उनके नेतृत्व के दृष्टिकोण पर सवाल खड़ा किया, विशेष रूप से पठानमथिट्टा में स्थिति से निपटने के उनके तरीके पर प्रकाश डाला.

सीएम विजयन की अप्रत्याशित चुप्पी ने लोगों को चौंका दिया. आम तौर पर वह चुप नहीं बैठते हैं. सीएम को अच्छी तरह समझने वाले राज्य पार्टी सचिव गोविंदन ने विजयन की शैली बदलने के सुझावों को खारिज कर दिया.

इस बीच, सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने घोषणा की कि 28 जून से दिल्ली में शुरू होने वाली केंद्रीय समिति की बैठक में सभी मुद्दों पर विचार किया जाएगा.

79 वर्षीय सीएम विजयन 2016 से केरल में सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उनका दूसरा कार्यकाल 2021 में उनकी बेटी की आईटी फर्म की जांच और लगातार विदेश यात्राओं के विवाद के बीच शुरू हुआ.

उनकी मुश्किलें तब बढ़ गईं, जब उनके लंबे समय के प्रतिद्वंद्वी के. सुधाकरन ने कन्नूर में जीत हासिल की. यह सीएम विजयन के लिए विशेष रूप से चुभने वाला रहा.

अब सबकी निगाहें दिल्ली में होने वाली पार्टी की बैठकों पर है. देखना यह है कि सीएम विजयन को बाधाओं का सामना करना पड़ेगा या राष्ट्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से वह बाधाओं को पार कर जाएंगे.

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