नई दिल्ली, 10 मई . कांग्रेस नेता और वायु सेना की पूर्व अधिकारी अनुमा आचार्य ने शनिवार को सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान माहौल को देखते हुए यह फैसला महिला अधिकारियों का मनोबल बढ़ाएगा.
विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) अनुमा आचार्य ने यहां कांग्रेस मुख्यालय पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “देश में जो स्थिति है, उसमें हम भारतीय सेनाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं और सेनाओं के शौर्य, साहस को सलाम करते हैं. सुप्रीम कोर्ट का 9 मई को एक निर्देश महिला अधिकारियों के पक्ष में आया, जिसमें शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारी, जो याचिकाकर्ता थीं, उन्हें अगली सुनवाई तक सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया गया है.”
उन्होंने कहा, “जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे समय में महिला अधिकारियों का मनोबल बढ़ा रहना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी महिला अधिकारी प्रतिभाशाली हैं. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि हर वर्ष केवल 250 शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को ही परमानेंट कमीशन दिया जा सकता है. सेना में अधिकारियों का युवा कैडर होना बहुत जरूरी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो अनुभवी महिला अधिकारी हैं, वे भी युवा सैनिकों के मार्गदर्शन और मानसिक संबल के लिए बहुत आवश्यक हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिला अधिकारियों के लिए उम्मीद की किरण है.”
अनुमा आचार्य ने बताया कि मैं खुद इस केस की एक लाभार्थी रही हूं. जब 1992 में कांग्रेस की सरकार ने पहली बार महिला अधिकारियों की एंट्री शुरू की थी, तब वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय की तरफ से एक सर्कुलर 25 नवंबर 1991 को जारी किया था, जिसमें यह कहा गया था कि एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में महिला अधिकारियों को लिया जाएगा. अगर प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले छह साल के लिए उन्हें एक्सटेंशन दिया जाएगा. फिर 11 वर्षों के बाद महिला अधिकारियों से पूछा जाएगा कि क्या वे पेंशनयोग्यसेवा जॉइन करना चाहती हैं?
उन्होंने बताया, “साल 1999 से 2004 के बीच में जब बाकी सरकारी नौकरियों में ओपीएस खत्म हुआ, उसी समय महिला अधिकारियों को पेंशन के लिए विकल्प देने की बात थी, वह भी खत्म हुआ. आगे चलकर 2007 में विंग कमांडर अनुपमा जोशी और स्कॉर्डन लीडर रुखसान हक ने पहले यह कोर्ट केस किया. उसके बाद थल सेना की भी महिला अधिकारियों ने इस केस को साथ में फॉलो किया और 2009 के मध्य तक सारे केस क्लब करते हुए 14 दिसंबर 2009 को दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था.”
कांग्रेस नेता ने कहा कि 12 मार्च 2010 को कोर्ट का महिला अधिकारियों के पक्ष में फैसला आया, लेकिन क्योंकि भारतीय वायु सेना का केस एक रक्षा मंत्रालय के सर्कुलर से फॉर्मली प्रोटेक्टेड था, इसलिए उनका केस ज्यादा मजबूत था. उन्होंने कहा, “इस दौरान हम करीब 15 महिला अधिकारी 23 मार्च 2010 को राहुल गांधी से अपनी वकील रेखापल्ली के साथ मिले. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि केस के मेरिट पर वह हमारा पक्ष जरूर रक्षा मंत्रालय के सामने रखेंगे, क्योंकि भारतीय वायु सेना की महिला अधिकारियों के केस के संबंध में एक पॉलिसी लेटर इश्यू हुआ था, जिससे मुझ जैसी 23 महिला अधिकारियों को तभी परमानेंट कमीशन मिल गया था. लेकिन, थल सेना में इस तरह का कोई पॉलिसी लेटर नहीं निकला था, तो बबिता पुनिया वर्सेस भारत सरकार केस की बाकी महिला अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई अगले 10 साल तक लड़नी पड़ी थी.”
उन्होंने कहा, “नौसेना की महिला अधिकारियों ने काफी बाद में जाकर कोर्ट में अपनी परमानेंट कमीशन की लड़ाई लड़ी. सेना की महिला अधिकारियों में, जिनमें हमारी कर्नल सोफिया कुरैशी भी शामिल हैं, इनको 2020 के निर्णय से पेंशनयोग्यसेवा मिली. नौसेना की अधिकारियों को उसके अगले साल मिली, लेकिन ये सब उन्हीं को मिला, जिन्होंने अदालत में केस लड़ा था. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय आया है, वह महिला अधिकारियों को बहुत राहत देता है और उससे महिला अधिकारियों का भी मनोबल बढ़ता है.”
अनुमा आचार्य ने कहा कि इस फैसले के कारण आज से लगभग 30 साल बाद हम एक या एक से अधिक सेनाओं में महिला सेना अध्यक्ष देखेंगे. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय आया है कि महिला अधिकारियों को तब तक बहाल रखा जाए, जब तक कि अगली सुनवाई अगस्त में नहीं होती. हम इसका बहुत स्वागत करते हैं. हम अपने देश की सेनाओं के साथ हैं और हमारे देश की सेना के सभी लोग जो तिरंगे को अपने खुद से ऊपर रखते हैं, उन सभी के प्रति हम श्रद्धा रखते हैं और उन सबका हम सम्मान करते हैं. हम हर सैन्यकर्मी के शौर्य को सलाम करते हैं.
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एफएम/एकेजे