New Delhi, 7 सितंबर . एडम गिलक्रिस्ट का नाम उन खिलाड़ियों में शामिल है, जिन्होंने विकेटकीपर के लिए बल्लेबाजी की परिभाषा ही बदल दी. गिलक्रिस्ट न सिर्फ स्टंप्स के पीछे अपना बेहतरीन योगदान देते, बल्कि आक्रामक बल्लेबाजी के साथ कई मुकाबलों का रुख पलट देते थे.
गिलक्रिस्ट की शैली ने यह साबित किया कि एक विकेटकीपर टीम के लिए गेम-चेंजर बल्लेबाज भी साबित हो सकता है. गिलक्रिस्ट के बाद ही दूसरी टीमों ने भी ऐसे विकेटकीपर्स को तराशना शुरू कर दिया जिनके पास बैटिंग में भी खेल बदलने वाली प्रतिभा की.
घरेलू स्तर पर जलवा बिखेरने के बाद गिलक्रिस्ट को अक्टूबर 1996 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू का मौका मिला. अपने पहले ही मैच में 18 रन की पारी खेलने के बाद बतौर विकेटकीपर गिलक्रिस्ट ने दो कैच लपकने के अलावा एक खिलाड़ी को रन आउट भी किया. हालांकि, तेज रिफ्लेक्स और बेहतरीन ग्लव वर्क के साथ गिलक्रिस्ट ने धीरे-धीरे टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. वह बल्ले से भी अहम योगदान देते जा रहे थे.
स्पिन और पेस, दोनों तरह के गेंदबाजों के साथ शानदार तालमेल बैठाते हुए गिलक्रिस्ट ने कैच और स्टंपिंग के सटीक मौके बनाए. टीम में ऊर्जा और आत्मविश्वास भरने की क्षमता गिलक्रिस्ट को खास बनाती थी. गिलक्रिस्ट के आने से ऑस्ट्रेलियाई खेमे को एक ऐसा खिलाड़ी मिला जो विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी, दोनों में ही मैच विनर था.
चाहे ओपनिंग हो या फिर मिडिल ऑर्डर, बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने विस्फोटक पारियां खेलते हुए विपक्षी टीम को दबाव में लाने का काम किया. उनकी मौजूदगी ने ऑस्ट्रेलिया को 1999 से 2007 तक लगातार तीन वर्ल्ड कप जीतने में अहम योगदान दिया.
20 जून 1999 को लॉर्ड्स के मैदान पर एडम गिलक्रिस्ट ने पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप के फाइनल में मैच जिताऊ प्रदर्शन किया.
इंजमाम-उल-हक और मोईन खान का कैच लपकने के बाद बतौर सलामी बल्लेबाज मैदान पर उतरे गिलक्रिस्ट ने मार्क वॉ के साथ शानदार साझेदारी की. गिलक्रिस्ट ने 36 गेंदों में एक छक्के और आठ चौकों की मदद से 54 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया 179 गेंद शेष रहते आठ विकेट से खिताब जीता.
2003 के वर्ल्ड कप में गिलक्रिस्ट भारतीय फैंस के लिए सबसे बड़े ‘विलेन’ थे. उन्होंने 23 मार्च को जोहान्सबर्ग में मैथ्यू हेडन के साथ 105 रन की साझेदारी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को मजबूत शुरुआत दिलाई.
गिलक्रिस्ट ने 48 गेंदों में 57 रन की पारी खेली. उनकी इस पारी में एक छक्का और आठ चौके शामिल थे. ऑस्ट्रेलिया ने 2 विकेट खोकर 359 रन बनाए और फाइनल 125 रन से जीता.
वर्ल्ड कप 2007 के फाइनल में खुद एडम गिलक्रिस्ट ही ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ रहे, जिन्होंने 104 गेंदों में आठ छक्कों और 13 चौकों की मदद से 149 रन की पारी खेली. इस दौरान ‘गिली’ ने मैथ्यू हेडन के साथ 22.5 ओवरों में 172 रन जोड़े, जिसकी मदद से 38 ओवरों में 281/4 का स्कोर बनाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने डकवर्थ लुईस नियम के आधार पर मैच 53 रन से जीता.
न सिर्फ वर्ल्ड कप, बल्कि कई अन्य टूर्नामेंट में भी गिलक्रिस्ट विकेटकीपिंग के अलावा, बल्ले से भी अपना जलवा दिखा चुके हैं. एडम गिलक्रिस्ट ने 96 टेस्ट में 47.60 की औसत के साथ 5,570 रन बनाए, जिसमें 17 शतक और 26 अर्धशतक शामिल थे. उन्होंने इस फॉर्मेट में 379 कैच लपकने के अलावा, 37 स्टंपिंग भी की.
287 वनडे मुकाबलों में इस खिलाड़ी ने 16 शतक और 55 अर्धशतक के साथ 9,619 रन अपने नाम किए. विकेट के पीछे 417 कैच लपकने के साथ 55 बल्लेबाजों को स्टंप आउट किया. गिलक्रिस्ट ने अपने करियर में 13 टी20 मुकाबले भी खेले, जिसमें 22.66 की औसत के साथ 272 रन बनाए. इस फॉर्मेट में बतौर विकेटकीपर उनके नाम 17 कैच हैं.
गिलक्रिस्ट का अंदाज अपने समय से आगे था. उन्होंने आक्रामकता को स्थायित्व देने का काम किया. उन्होंने उस दौर को भी स्थापित किया जब विकेटकीपर की बल्लेबाज न सिर्फ टीम के लिए बोनस बल्कि समकालीन क्रिकेट की जरूरत भी बन गई थी. गिलक्रिस्ट के संन्यास के बाद उनके बाद के दौर के विकेटकीपर्स ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया है. भारत के ऋषभ पंत कई बार वह काम करते दिखाई देते हैं, जो कभी एडम गिलक्रिस्ट ने किया था.
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आरएसजी/एएस