पुरुषों की तुलना में महिलाओं को माइग्रेन का तीन गुना खतरा क्यों?

नई दिल्ली, 3 मार्च . विशेषज्ञों ने रविवार को बताया कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं सिरदर्द से ज्‍यादा पीडि़त होती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि हार्मोन में बदलाव के कारण माइग्रेन (तेज सिरदर्द) पुरुषों की तुलना में महिलाओं में तीन गुना अधिक होता है.

माइग्रेन एक गंभीर सिरदर्द है जो आम तौर पर एक तरफ से शुरू होता है. इसके लक्षणों में मतली या उल्टी और शोर के प्रति चिड़चिड़ापन शामिल है. यह आमतौर पर चार घंटे से अधिक समय तक रहने वाला सिरदर्द है, लेकिन यह 72 घंटे तक भी रह सकता है.

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रधान निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने को बताया, ”माइग्रेन एक बहुत ही आम सिरदर्द है और लगभग 15 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करता है. माइग्रेन से पीड़ित लोगों के परिवार में माइग्रेन का महत्वपूर्ण इतिहास होता है और मासिक धर्म के दौरान इसकी स्थिति बिगड़ जाती है. महिलाओं और पुरुषों का अनुपात एक से तीन गुना है.”

आर्टेमिस हॉस्पिटल के डॉ. सुमित सिंह ने कहा, “यह शरीर के हार्मोन में चक्रीय परिवर्तन के कारण होता है. एस्ट्रोजन के नाम से जाना जाने वाला महिला सेक्स हार्मोन माइग्रेन पैदा करने का मुख्य कारण है.”

डॉ. सुमित सिंह ने को बताया, “जो महिलाएं हार्मोनल गोलियां खाती हैं या हार्मोनल गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करती हैं, उनमें माइग्रेन का खतरा बहुत ज्यादा होता है.”

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2019 के अनुसार, दुनिया भर में माइग्रेन 18 से 49 साल की महिलाओं में अधिक होता है. अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में माइग्रेन बार-बार होता है.

गुरुग्राम स्थित मेदांता द मेडिसिटी में न्यूरोलॉजी के अध्यक्ष प्रोफेसर विनय गोयल ने को बताया, “माइग्रेन एक बहुत ही आम सिरदर्द है. यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है. माइग्रेन का निदान हमेशा नैदानिक होता है और इसके लिए एक अच्छे चिकित्सक या न्यूरोलॉजिस्ट के परामर्श की जरूरत होती है और कभी-कभी एमआरआई की भी जरूरत होती है.”

एफजेड/एसजीके