‘पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना’ चुनाव से पहले क्यों नहीं लागू किया गया : संदीप दीक्षित

नई दिल्ली, 30 दिसंबर . दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) के वादों और घोषणाओं पर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं. अब, कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित ने अरविंद केजरीवाल की योजनाओं और दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे विवाद को लेकर भी अपनी राय दी.

अरविंद केजरीवाल की ओर से पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना की घोषणा पर संदीप दीक्षित ने कहा कि यह योजना ठीक है, लेकिन सवाल यह है कि इसे पहले क्यों नहीं लागू किया गया? आम तौर पर चुनावों से ठीक पहले सरकारें नई योजनाओं की घोषणा करती हैं, जिनमें नई सड़कों, पुलों और इंफ्रास्ट्रक्चर की बात होती है. चुनाव से महज कुछ दिन पहले ये घोषणाएं क्यों की जा रही हैं? उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यह कदम केजरीवाल की राजनीति की निराशाजनक स्थिति को दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल की स्थिति अब इतनी कमजोर हो गई है कि वह विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिए इस तरह की घोषणाएं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के घर के बाहर पिछले कई दिनों से वक्फ बोर्ड के मौलवी आए हुए हैं, जो वेतन न मिलने की शिकायत कर रहे हैं. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अगर आप अपने मौलवियों और कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं, तो नई योजना के लिए पैसा कहां से लाएंगे?

संदीप दीक्षित ने सवाल उठाया कि दिल्ली सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं है, तो पुजारियों को 18 हजार रुपये मासिक देने की योजना को कैसे लागू किया जाएगा. आपने हाल ही में भारत सरकार से 10 हजार करोड़ रुपये लिए हैं, तो इन योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसे कहां से आएंगे? यदि आप इन सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो क्या योजना बनाई है?

संदीप दीक्षित ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार में लगभग बारह-पंद्रह कॉलेज हैं, जहां प्रोफेसरों को महीनों तक वेतन नहीं मिलता. अगर आप अपने कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं, तो नए लोगों को कैसे मदद देंगे? दिल्ली सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार को पहले अपनी वित्तीय स्थिति सुधारनी चाहिए, फिर नई योजनाओं का ऐलान करना चाहिए.

रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच जारी विवाद पर संदीप दीक्षित ने कहा कि अगर कोई रोहिंग्या है तो भारत सरकार को उन्हें चिन्हित करके बाहर निकालना चाहिए. लेकिन दिल्ली सरकार की भी इसमें जिम्मेदारी बनती है. दिल्ली सरकार के पास पटवारी, अधिकारी और एमसीडी के कर्मचारी हैं, जो जमीनी स्तर पर काम करते हैं. केजरीवाल और मोदी सरकार दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाने की बजाए मिलकर इस मुद्दे पर काम क्यों नहीं करते? दिल्ली सरकार की भी इसमें अहम भूमिका है, लेकिन दोनों सरकारें आपस में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चला रही हैं, जबकि ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

पीएसके/एबीएम