लंदन, 11 फरवरी, . हजारों की संख्या में किसान 2020-2021 में ट्रैक्टर ट्रोली के साथ दिल्ली के बॉर्डर पर आ जमे थे. कुछ ऐसा ही नजारा लंदन में सोमवार को देखने को मिला जब बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ ब्रिटिश राजधानी पहुंच गए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर पर पहुंचे ट्रैक्टरों के बीच सैन्य टैंक भी नजर आए. टैंक पर लगी तख्तियों पर लिखा था, “किसानों के साथ.”
ब्रिटेन में ऐसा प्रदर्शन एक साल बाद हुआ. उस वक्त यूके समेत यूरोप के कई देशों में ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था.
सोमवार को लंदन पहुंचे किसान दरअसल ‘विरासत कर’ में प्रस्तावित बदलावों का विरोध कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नए प्रस्ताव के तहत अप्रैल 2026 से, 1 मिलियन पाउंड से अधिक मूल्य की विरासत में मिली कृषि संपत्ति, [जो पहले कर से मुक्त थी], पर 20% टैक्स लगेगा.
किसानों का दावा है कि टैक्स बढ़ोतरी से पारिवारिक खेत खत्म हो सकते हैं. कई किसानों को डर है कि यह नीति पीढ़ियों से चली आ रही खेती को विभाजित कर देगी, जिससे परिवारों को टैक्स का भुगतान करने के लिए जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
प्रदर्शनकारियों ने सेंट्रल लंदन के व्हाइटहॉल में ट्रैक्टरों को कतार में खड़ा किया जो ट्राफलगर स्क्वायर तक फैल गई. किसानों ने यूनियन जैक के झंडे लहराए और सरकार से नीति पर फिर से विचार करने की अपील की.
किसानों के प्रदर्शन में कुछ राजनीतिक नेताओं ने भी शामिल होने का प्रयास किया. रिफॉर्म यूके पार्टी के नेता निगेल फरेज ने विरोध प्रदर्शन के लिए जा रहे किसानों को संबोधित करते हुए सभी ‘मृत्यु करों’ को समाप्त करने की मांग की. हालांकि, आयोजकों ने फरेज से खुद को अलग करते हुए कहा कि वह आंदोलन पर राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं.
कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस कदम से यूके की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
एक किसान ने आगाह किया कि इन सुधारों के कारण ब्रिटेन खाद्य आयात पर अधिक निर्भर हो जाएगा, जिससे घरेलू खाद्य सुरक्षा को नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने कहा, “सरकार को हाल की विश्व घटनाओं और राजनीतिक अस्थिरता को ध्यान में रखना चाहिए. हमें अपनी खाद्य आपूर्ति पर नियंत्रण रखना होगा.”
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एमके/