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New Delhi, 1 नवंबर . अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में इस समय अशांति फैली हुई है. हिंसा का आधार बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है. देश में फैली अशांति और हिंसा पर अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप ने चिंता जताई है.
अमेरिकी President ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, “नाइजीरिया में ईसाई धर्म का अस्तित्व खतरे में है. हजारों ईसाई मारे जा रहे हैं. इस सामूहिक नरसंहार के लिए कट्टरपंथी इस्लामवादी जिम्मेदार हैं. मैं नाइजीरिया को एक “विशेष चिंता का देश” घोषित कर रहा हूं.”
President ट्रंप ने लिखा, “जब ईसाइयों या ऐसे किसी भी समूह का नाइजीरिया की तरह कत्लेआम हो रहा है, तो कुछ तो करना ही होगा! मैं कांग्रेसी रिले मूर, अध्यक्ष टॉम कोल और सदन की विनियोग समिति के साथ मिलकर इस मामले की तुरंत जांच करने और मुझे रिपोर्ट करने का अनुरोध करता हूं. नाइजीरिया और कई अन्य देशों में इस तरह के अत्याचार होते देख अमेरिका चुप नहीं रह सकता. हम दुनिया भर में अपनी विशाल ईसाई आबादी को बचाने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं!”
नाइजीरिया में हो रही इस धार्मिक हिंसा को लेकर पहले भी अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने चिंता जाहिर की है. बता दें, हिंसा का एक कारण इस्लामिक समूह बोको हरम और इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविन्स जैसे समूह भी हैं. ऐसे चरमपंथी इस्लामिक समूह ईसाइयों को निशाना बना रहे हैं.
अकॉर्ड की रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया में ईसाई धर्म के लोगों के खिलाफ इस तरह से हिंसा फैलाने का आधार धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है.
नाइजीरिया में ईसाई धर्म या इस्लाम धर्म के लोगों की तादाद ज्यादा है. 47 से 54 फीसदी लोग यहां इस्लाम को मानते हैं. उत्तरी हिस्से में मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. इस हिस्से में गरीबी भी ज्यादा है. वहीं दक्षिण-पूर्वी इलाके में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है. यहां लोगों की जीवनशैली भी काफी बेहतर है.
नाइजीरिया में दोनों धर्मों के बीच लंबे समय से संघर्ष जारी है. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि ईसाइयों के विरोध के बावजूद वहां उत्तरी राज्यों में इस्लामी शरिया कानून को माना जा रहा है. दोनों धार्मिक समूहों की आपसी लड़ाई अब हिंसक रूप ले चुकी है.
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केके/एएस