पटना, 3 अगस्त . बिहार में चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए मतदाता सूची के मसौदे (ड्राफ्ट) पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं. तेजस्वी ने कहा कि जिन लोगों का निधन हो चुका है या फिर जो दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में चले गए हैं, चुनाव आयोग को स्पष्ट करना चाहिए कि उनके नाम क्यों हटाए गए.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने Sunday को मीडिया से बात करते हुए कहा, “कल हमने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे थे. चुनाव आयोग ने उन लोगों के नाम क्यों छिपाए हैं जिनके बूथवार ईपीआईसी (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) नंबर दर्ज हैं या जिनका निधन हो चुका है, जो स्थानांतरित हो गए हैं, या जो दूसरे विधानसभा क्षेत्र में चले गए हैं? उनके बारे में जानकारी क्यों छुपाई गई है? चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन नामों को क्यों हटाया गया.”
तेजस्वी ने मतदाता सूची संशोधन और निवास प्रमाण पत्र की प्रक्रिया की गंभीरता पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “जब बिहार में ‘डॉग बाबू’ और ‘मोनालिसा’ के नाम पर निवास प्रमाण पत्र बनाए गए, तो यह दिखाता है कि यह पुनरीक्षण कितना ‘गहन’ था. कई आईएएस अधिकारियों और कई अन्य लोगों के नाम भी काटे गए हैं. हम चाहते हैं कि आयोग श्रेणी-वार डेटा जारी करे ताकि सच्चाई सामने आए.”
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने Saturday को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर चुनाव आयोग से कई सवाल किए थे. उन्होंने लिखा, “चुनाव आयोग ने जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम विलोपित किए हैं, उससे संबंधित हमारे कुछ वाजिब एवं तार्किक सवाल हैं. क्या आयोग इसका जवाब देगा?”
उन्होंने आयोग से पूछा था कि 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित करने का आधार क्या है? मृतक मतदाताओं के परिजनों से कौन सा दस्तावेज लिया जिसके आधार पर उनकी मौत की पुष्टि हुई? जिन 36 लाख मतदाताओं को चुनाव आयोग स्थानांतरित बता रहा है या अस्थायी रूप से पलायित बता रहा है, उसका क्या आधार है? ईसी स्पष्ट करें. अगर अस्थायी पलायन से 36 लाख गरीब मतदाताओं का नाम कटेगा तो फिर यह आंकड़ा भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार, बिहार से प्रति वर्ष बाहर जाने वाले तीन करोड़ पंजीकृत श्रमिकों से भी अधिक होना चाहिए.
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