भारत के लिए ब्रुनेई से रिश्ते प्रगाढ़ करना क्यों है जरूरी?

बंदर सेरी बेगावान, 4 सितंबर . वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान विदेश नीति के मोर्चे पर एक या दो नहीं, बल्कि अनेकों ऐसे कदम उठाएं हैं, जो अभूतपूर्व साबित हुए हैं. इन्हीं में से एक है उनकी ब्रुनेई यात्रा. ब्रुनेई एक ऐसा देश, जिसकी कुल आबादी भारत के राज्य सिक्कम से भी कम है. शायद इसी वजह से ही अब तक कई भारतीय प्रधानमंत्री इसे नजरअंदाज करते आए हों.

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और ‘भारतीय विदेश नीति’ को धार देने के उद्देश्य से ब्रुनेई जैसे छोटे से देश को भी अपने साथ रखने और उसकी यात्रा कर उसको सम्मान देने का कदम उठाया. उन्होंने ब्रुनेई का ना महज दौरा किया, बल्कि वहां के सुल्तान हाजी हसलन बोल्किया से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में रूपरेखा तैयार कर उसे जमीन पर उतारने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की.

ब्रुनेई एक इस्लामिक देश है, लेकिन विदेश मामलों के विशेषज्ञों का दावा है कि निकट भविष्य में इस देश के साथ अगर भारत चाहे तो ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने संबंध प्रगाढ़ कर सकता है.

मौजूदा समय में भारत और ब्रुनेई के बीच व्यापारिक गतिविधियां जारी हैं, लेकिन वह ब्रुनेई के पक्ष में ज्यादा है. इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली कोशिश यही रही कि कैसे भी करके दोनों देशों के बीच सबसे पहले व्यापार संतुलन स्थापित किया जाए, क्योंकि वर्तमान में भारत की ओर से ब्रुनेई से आयात ज्यादा हो रहा है, जबकि निर्यात कम. भारत ब्रुनेई से मुख्यत: कच्चे तेल का आयात करता है.

अब सबसे अहम सवाल है कि आखिर भारत के लिए ब्रुनेई से रिश्ते प्रगाढ़ करना क्यों जरूरी है? दरअसल, इसके पीछे की वजह बताते हुए जानकर कहते हैं कि दक्षिण चीन सागर की सीमा ब्रुनेई से लगती है और भारत का इस सीमा को लेकर पुराना विवाद है. ऐसे में अगर चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर घेरना है, तो भारत के लिए जरूरी हो जाता है कि वो ब्रुनेई से अपने संबंध प्रगाढ़ करे.

इसके अलावा, भारत ने ब्रुनेई के हाइड्रोकार्बन इंडस्ट्री में 270 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. इसके साथ ही जानकरों का दावा है कि अगर दोनों देश रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में अपने संबंध प्रगाढ़ करें, तो यह दोनों के लिए हितकारी कदम साबित होगा.

प्रधानमंत्री का ब्रुनेई दौरा काफी दिलचस्प रहा है. उन्होंने यहां भारतीय उच्चायोग के उद्घाटन से लेकर सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का दीदार किया. इसके बाद, उन्होंने भारतीय समुदाय से मुलाकात की और यहां की अर्थव्यवस्था में भारतीयों के योगदान को सराहा. यहां कुल 14 हजार भारतीय हैं, जो ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

एसएचके/जीकेटी