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वाशिंगटन, 29 अक्टूबर . जापान और अमेरिका ने Tuesday को टोक्यो में महत्वपूर्ण खनिज और रेयर अर्थ समझौते पर हस्ताक्षर किए. वहीं वाशिंगटन में विशेषज्ञों का मानना है कि समझौते के बावजूद, टोक्यो को डर है कि अमेरिकी President इस सप्ताह के अंत में दक्षिण कोरिया में अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात के दौरान “चीन के प्रति अपना रुख नरम” कर सकते हैं.
Tuesday को वाशिंगटन में मीडिया से बातचीत के दौरान, जर्मन मार्शल फंड (जीएमएफ) की वरिष्ठ फेलो, सयूरी रोमी ने तर्क दिया, “टोक्यो का मुख्य डर यह है कि ट्रंप चीन के प्रति अपना रुख नरम कर सकते हैं और बीजिंग के साथ एक ऐसा समझौता कर सकते हैं, जिसका क्षेत्रीय संतुलन पर असर पड़ सकता है.”
बता दें, President ट्रंप ने Monday को टोक्यो में जापान की नई Prime Minister साने ताकाइची से मुलाकात की और कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इनमें महत्वपूर्ण मिनरल्स और रेयर अर्थ पर एक समझौता भी शामिल है.
दोनों पक्षों ने खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा में तेजी लाने के लिए अपने “सहकारी प्रयासों” को तेज करने का संकल्प लिया. व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, “प्रतिभागी देश अमेरिका और जापान के वित्तीय सहायता तंत्र व्यापार उपायों और महत्वपूर्ण खनिजों के भंडारण प्रणालियों जैसे नीतिगत साधनों का लाभ उठाकर, उन्नत तकनीकों और अपने-अपने औद्योगिक आधारों सहित घरेलू उद्योगों को समर्थन देने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों और रेयर अर्थ की सुरक्षित आपूर्ति में तेजी लाने के लिए अपने सहकारी प्रयासों को तेज कर रहे हैं.”
इसके लिए दोनों देश मिलकर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम कंपनियों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के प्रयासों को तेज करेंगे. इस बीच Tuesday को, चीन संबंधी हाउस सेलेक्ट कमेटी ने अमेरिका-जापान खनिज समझौते का स्वागत किया.
social media प्लेटफॉर्म एक्स पर हाउस सेलेक्ट कमेटी ने लिखा, “नए अमेरिका-जापान व्यापार और महत्वपूर्ण खनिज समझौते हमारी साझा आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करते हैं और चीन के आर्थिक दबाव को रोकते हैं. एक मजबूत गठबंधन प्रमुख तकनीकों और उद्योगों पर हावी होने की सीसीपी की कोशिशों के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव है.”
हालांकि, रोमी ने कहा, “ऐसा लगता है कि ट्रंप हमेशा आखिरी व्यक्ति की बात सुनते हैं जो उनसे बात करता है. इसलिए, इस मामले में, यह देखना दिलचस्प होगा कि टोक्यो के दृष्टिकोण को पहले सुनने के बाद, वह शी जिनपिंग के साथ अपनी बैठक को कैसे आगे बढ़ाएंगे.”
बता दें, जापान के साथ यह समझौता अमेरिका द्वारा थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया के साथ खनिज सौदों पर हस्ताक्षर करने के दो दिन बाद हुआ है.
दूसरी ओर, चीन ने अक्टूबर की शुरुआत में रेयर अर्थ और संबंधित प्रौद्योगिकियों पर व्यापक निर्यात नियंत्रण की घोषणा की. चीन के इस फैसले से अमेरिकी President भड़क उठे और चीनी आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी.
पिछले हफ्ते, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने मलेशिया में चीन के उप-Prime Minister हे लिफेंग और व्यापार वार्ताकार ली चेंगगांग से मुलाकात की और एक व्यापार समझौते के लिए एक “ढांचे” पर सहमति जताई.
Sunday को एबीसी न्यूज से बात करते हुए, बेसेंट ने दावा किया कि बीजिंग एक साल के लिए रेयर अर्थ निर्यात नियंत्रण में देरी करने पर सहमत हो गया है. जीएमएफ के हिंद-प्रशांत कार्यक्रम की प्रबंध निदेशक, बोनी ग्लेसर ने जोर देकर कहा, “मुझे लगता है कि चीन का मानना है कि ट्रंप समझौता करने को तैयार हैं और कुछ मायनों में झुकेंगे.”
उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप यह भी मानते हैं कि चीन ने अपने रेयर अर्थ को “हथियार” बना लिया है और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ हाल के समझौते अमेरिका की बेचैनी को दर्शाते हैं.
बोनी ग्लेसर ने कहा, “रेयर अर्थ और अन्य मुद्दों पर समझौते की संभावनाओं के बावजूद, यह शिखर सम्मेलन अमेरिका-चीन संबंधों की गतिशीलता में कोई बुनियादी बदलाव नहीं लाएगा. संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन कई क्षेत्रों में तीव्र प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं, और मुझे उम्मीद है कि यह प्रतिस्पर्धा जारी रहेगी.”
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केके/एएस