19 जनवरी, वाशिंगटन . डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. जहां उनके शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं वहीं उनका विरोध भी रहा है. वाशिंगटन में हजारों लोग, जिनमें अधिकतर महिलाएं थीं, शनिवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह का विरोध करने के लिए इक्ट्ठा हुए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से कुछ ने गुलाबी टोपी पहन रखी थी, जो 2017 में उनके पहले शपथ ग्रहण समारोह के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का प्रतीक थी.
फ्रैंकलिन पार्क में, प्रदर्शनकारी हल्की बारिश के बीच लैंगिक न्याय और शारीरिक स्वायत्तता (बॉडली ऑटोनॉमी) के लिए रैली करने के लिए इक्ट्ठा हुए.
बाकी प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस के पास दो अन्य पार्कों में इक्ट्ठा हुए. इनमें से एक समूह लोकतंत्र और इमिग्रेशन पर और दूसरा स्थानीय वाशिंगटन मुद्दों पर प्रदर्शन कर रहा है. कुछ समय बाद लोग लिंकन मेमोरियल में अंतिम सभा की ओर बढ़े.
हालांकि इस बार प्रदर्शनकारियों की संख्या 2017 की तुलना में काफी कम रही. इसकी एक वजह नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की हार रही जो कि यूएस महिला अधिकार आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि वह ‘गर्भपात तक पहुंच’ के लिए अपना समर्थन दिखाना चाहती थी. उन्होंने कहा “मैं वास्तव में हमारे देश के मतदान के तरीके से खुश नहीं हूं, मुझे दुख है कि हमारे देश ने एक ऐसे राष्ट्रपति चुना जो पहले ही हमें एक बार निराश कर चुका है, हमने एक महिला उम्मीदवार को नामित नहीं किया.”
मिनी तिम्माराजू, एडवोकेसी ग्रुप रिप्रोडक्टिव फ़्रीडम फॉर ऑल की प्रमुख ने कार्यक्रम की शुरुआत में कहा, “आज आप सभी का एकजुटता के साथ यहां होना वास्तव में बहुत अच्छा है, हम वाकई बहुत भयानक चरमपंथी होने जा रहे हैं.” उन्होंने कहा कि अच्छी खबर यह है कि ट्रंप की जीत के बावजूद गर्भपात के अधिकार की लोकप्रयिता बरकरार है. उन्होंने ‘हम बहुमत हैं!’ का नारा लगाया.
रिप्रोडक्टिव ग्रुप्स ने नागरिक अधिकार, पर्यावरण और अन्य महिला समूहों के साथ मिलकर ट्रंप और उनके एजेंडे के खिलाफ मार्च का आयोजन किया.
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एमके/