सासाराम, 1 मई . केंद्र सरकार के जातीय जनगणना कराने के निर्णय पर कांग्रेस श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, जिस पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने निशाना साधा है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कांग्रेस अपने शासनकाल में क्यों जातीय जनगणना नहीं करा सकी थी?
बिहार के सासाराम में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि पिछले दिनों पार्टी शिविर में जाति जनगणना तथा बढ़ी जनसंख्या के आधार पर लोकसभा, विधानसभा परिसीमन को लेकर प्रस्ताव लाया गया था. केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना की मांग पूरी कर दी, लेकिन लोकसभा, विधानसभा परिसीमन की मांग को लेकर आरएलएम किसी स्तर तक जाएगी.
उन्होंने लोकसभा, विधानसभा के परिसीमन की मांग करते हुए कहा कि अगर नया परिसीमन हो तो बिहार से 40 के बदले 60 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचेंगे, वैसे ही विधानसभा में भी संख्या बढ़ जाएगी.
उन्होंने कहा कि इससे सभी वर्गों को नुकसान हो रहा है. औसतन 10 लाख मतदाता मिलकर एक सांसद चुनते हैं, जबकि कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां 30 लाख लोग मिलकर एक सांसद चुन रहे हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि रोहतास जिले के विक्रमगंज में 25 मई को संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली से वातावरण बनाने का कार्य किया जाएगा. दूसरी रैली मुजफ्फरपुर में भी होगी.
उन्होंने कहा कि दक्षिण के कुछ राज्यों ने लोकसभा और विधानसभा परिसीमन का विरोध किया है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा की बढ़ती जनसंख्या पर परिसीमन को लेकर पूरी तरह से वातावरण बनाया जाएगा. हमारे संविधान में परिसीमन का प्रावधान बनाया गया है.
उन्होंने कहा कि जनसंख्या के आधार पर जो लोकसभा सीट तय होते हैं, वह अभी नहीं है. देश में एक सांसद के चुनाव पर मतदाताओं की संख्या सामान्य होनी चाहिए. उन्होंने परिसीमन को लेकर कहा कि महिलाओं के शिक्षित होने से जनसंख्या नियंत्रण हो सकता है. यह आम तौर पर देखा जाता है कि शिक्षित महिलाएं छोटे परिवार में विश्वास करती हैं. यही बिहार में भी देखने को मिल रहा है.
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एमएनपी/डीएससी