बांग्लादेश : बीएनपी की चेतावनी, जो भी करेगा आम चुनावों का विरोध, उसे देश की भविष्य की राजनीति से कर दिया जाएगा बाहर

ढाका, 27 अगस्त . बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चेतावनी दी है कि अगर कोई व्यक्ति आने वाले आम चुनावों का विरोध करता है, तो उसे देश की भविष्य की राजनीति से बाहर कर दिया जाएगा.

प्रमुख बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट यूएनबी ने बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद के हवाले से कहा, “राजनीति के क्षेत्र में किसी भी विवाद का जवाब उसी क्षेत्र में दिया जाएगा. जो भी चुनाव का विरोध करेगा, उसे राजनीति से बाहर कर दिया जाएगा. किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव में हिस्सा न लेने का अधिकार है. लेकिन जो लोग बेवजह चुनाव का बहिष्कार करने की कोशिश करते हैं, वे अंत में भविष्य की राजनीति में पिछड़ जाएंगे.”

सलाहुद्दीन ने आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) प्रणाली या संविधान सभा की मांग को केवल एक “राजनीतिक चाल” बताया.

उन्होंने आगे कहा, “आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) या संविधान सभा की मांग करना एक राजनीतिक चाल है और इन बयानों का मकसद माहौल खराब करना है. देश में चुनाव का समय है और जो भी इसके खिलाफ बोलेगा, उसे राजनीति से बाहर कर दिया जाएगा.”

उन्होंने यह भी कहा कि बीएनपी जुलाई चार्टर के कुछ प्रावधानों को “अनुचित” मानती है और राष्ट्रीय सहमति आयोग की चर्चा में वैकल्पिक प्रस्तावों के साथ हिस्सा लेगी.

सलाहुद्दीन ने कहा, “संविधान से ऊपर कुछ नहीं है. राजनीतिक दल बातचीत के जरिए सहमति पर पहुंचेंगे.”

उन्होंने जोर देकर कहा कि बीएनपी मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान राष्ट्रीय चुनाव में किसी भी समस्या से बचना चाहती है.

बीएनपी नेता ने जोर देकर कहा, “यह सरकार आम सहमति से बनी है. एक बार कार्यवाहक व्यवस्था शुरू हो जाए, तो इसे भविष्य के चुनावों में लागू किया जा सकता है. लेकिन, चुनाव समय-सीमा के भीतर ही होने चाहिए, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है.”

इस बीच, सलाहुद्दीन ने आम चुनाव से पहले कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन हो सकता है, जिनमें कुछ “इस्लाम समर्थक” दल भी शामिल हैं, जो उनके “संयुक्त आंदोलन” का हिस्सा हैं.

पिछले सप्ताह जमात ने धमकी दी थी कि जब तक अंतरिम सरकार उसकी मुख्य मांगें पूरी नहीं करती, तब तक अगले राष्ट्रीय चुनाव नहीं हो सकते. इन मांगों में चुनाव सुधार, समान अवसर और जनसंपर्क प्रणाली की शुरुआत शामिल है.

एसएचके/जीकेटी