कौन हैं दिल्ली की प्रतीका रावल, जिनको माना जा रहा है भारतीय महिला क्रिकेट की अगली बड़ी खिलाड़ी

नई दिल्ली, 26 जनवरी . 15 जनवरी से वेस्ट पटेल नगर में रहने वाले रावल परिवार की जिंदगी में बदलाव का दौर शुरू हो गया है. राजकोट में आयरलैंड के खिलाफ भारत की 3-0 की महिला वनडे सीरीज की जीत के बाद प्रदीप रावल के घर पर उन्हें बधाई देने और उनकी बेटी प्रतीका के साथ फोटो खिंचवाने वालों का तांता लगा हुआ है.

इसी बीच मॉडर्न स्कूल, बाराखंबा रोड के प्रिंसिपल डॉ. विजय दत्ता ने एक विशेष स्कूल सभा में प्रतिभा और प्रदीप को बहुत सम्मान दिया. यह प्रतिभा का स्कूल भी है. प्रतिभा ने अपने वनडे करियर की शानदार शुरुआत की है.

पिछले साल वडोदरा में वेस्टइंडीज के खिलाफ पदार्पण करने के बाद से 24 वर्षीय प्रतीका ने 74 की औसत से 444 रन बनाए हैं. किसी भी अन्य महिला बल्लेबाज ने अपनी पहली छह अंतरराष्ट्रीय पारियों में प्रतीका जितने रन नहीं बनाए हैं. केवल दक्षिण अफ्रीका के पुरुष बल्लेबाज जानमन मलान ही उनसे बेहतर प्रदर्शन कर पाए हैं.

उन छह मैचों में से आखिरी मैच में प्रतीका ने अपने उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय करियर की सबसे बड़ी पारी खेली. उन्होंने 129 गेंदों पर 154 रनों की पारी खेली और अपनी सलामी जोड़ीदार और कप्तान स्मृति मंधाना के साथ 233 रनों की साझेदारी की, जिससे भारत 430/5 का स्कोर बनाने में सफल रहा, जो उनका सबसे बड़ा एकदिवसीय स्कोर था.

स्मृति ने भारत की सीरीज में क्लीन स्वीप के बाद प्रतीका के शांत स्वभाव की प्रशंसा की. वडोदरा और राजकोट में प्रतीका के सभी छह मैच देखने वाले प्रतीका के पिता प्रदीप वर्षों के अपने सपने को साकार करने की खुशी मना रहे हैं कि उनकी बेटी भारत के लिए खेल रही है.

प्रदीप ने से खास बातचीत में कहा, “जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा बदल गई है. बचपन से ही मैंने जो सपना देखा था कि वह क्रिकेट में कुछ अच्छा करेगी, वह आज सच हो गया है. इसलिए सबसे पहले भगवान, माता-पिता और कोच का शुक्रिया, जो दिन हम अभी देख रहे हैं, वह सबकी मेहनत का नतीजा है. जब आपका बच्चा आपका पुराना सपना पूरा करता है, तो बहुत अच्छा लगता है.”

प्रतीका की क्रिकेट यात्रा की शुरुआत प्रदीप द्वारा शुरुआती कोचिंग से हुई, जो बीसीसीआई से प्रमाणित लेवल 1 अंपायर और डीडीसीए में स्टेट पैनल अंपायर हैं. बचपन में क्रिकेट खेलना प्रदीप का जुनून था, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सके क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता से ज्यादा समर्थन नहीं मिला और अगले स्तर तक पहुंचने में मदद करने के लिए कोई मार्गदर्शक भी उपलब्ध नहीं था.

उन्होंने क्रिकेट से जुड़ी अपनी सारी सीख प्रतीका को दी, जो तीन साल की उम्र तक बल्ला पकड़ना सीख गई. वह बताते है कि जब प्रतीका बहुत छोटी थी, तो वह मेरे साथ मैच देखने जाती थी, जहां मैं अंपायरिंग करता था, वह देखने जाती थी.

वह याद करते हुए कहते है, “अपने तरीकों से मैंने उसे बल्लेबाजी और गेंदबाजी करना सिखाया. शुरुआत में मैं उसे टेनिस बॉल से बल्लेबाजी का अभ्यास कराता था. मैंने उसे मध्यम गति की गेंदबाजी भी सिखाई, फिर वह ओपनर बन गई और उसे ओपनर बनाने के लिए मैंने उसकी गेंदबाजी को ऑफ स्पिन में बदल दिया, यह सोचकर कि उसे कुछ आराम मिलेगा.”

प्रदीप की अंपायरिंग में बढ़ती दिलचस्पी के साथ उस समय चौथी कक्षा में पढ़ने वाली प्रतीका को कोच श्रवण कुमार के तहत रोहतक रोड जिमखाना क्रिकेट अकादमी में भर्ती कराया गया, जिनके प्रमुख छात्रों में ईशांत शर्मा और हर्षित राणा शामिल हैं. पेशेवर रूप से क्रिकेट खेलने की बढ़ती इच्छा के साथ, प्रतिका कोच श्रवण कुमार के तहत प्रशिक्षण लेने वाली पहली महिला छात्रा भी बन गई.

प्रदीप कहते हैं, “लेकिन उसे वहां बल्लेबाजी के लिए ज्यादा समय नहीं मिला, क्योंकि वह सिर्फ 10 मिनट के लिए ही खेल पाती थी.कैचिंग, फील्डिंग और फिटनेस पर कम ध्यान दिया जाता था. मैं चाहता था कि कोई उस पर शुरुआती ध्यान दे और उसके लिए ज्यादा समय निकाले.”

2015-2016 में, प्रदीप ने रेलवे टीम की कोच दीप्ति ध्यानी के अधीन व्यक्तिगत बल्लेबाजी प्रशिक्षण के लिए प्रतीका का दाखिला करा दिया. प्रदीप ने कहा, “उन्होंने प्रतीका की फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दिया, और उसे 12 घंटे तक बल्लेबाजी करवाकर समय दिया. वह उसे बल्ले से नॉकिंग करवाती थी, साथ ही विभिन्न अभ्यासों के माध्यम से फील्डिंग पर भी काम करवाती थी. वहां उन्होंने उसे बहुत प्रेरित किया और उसे बहुत सुधार करने में मदद की.”

आयु-समूह क्रिकेट में आगे बढ़ने के बाद, प्रतीका ने 2021 में दिल्ली के लिए सीनियर क्रिकेट में पदार्पण किया, जहां उनका मुख्य आकर्षण 155 गेंदों में 161 रन की पारी थी. इसके बाद उन्होंने 2022/23 सीजन में सीनियर महिला वन-डे ट्रॉफी में आठ मैचों में 379 रन बनाए और अगले सीजन में सात पारियों में 411 रन बनाए.

प्रदीप कहते हैं, “शुरू से ही मैंने उसे सिखाया कि तुम्हें गेंद दर गेंद अपने खेल को समझना होगा. ऐसे ही तुम्हें पारी को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना होगा और यही तुम्हारा लक्ष्य होना चाहिए. जैसे महाभारत में अर्जुन का ध्यान केवल मछली को मारने पर था, तुम्हें उसी तरह आगे बढ़ना होगा.”

इसके अलावा, प्रतीका का मनोविज्ञान के प्रति जुनून – एक विषय जिसमें उसने जीसस एंड मैरी कॉलेज में पढ़ाई की थी, जहां उसने 12वीं कक्षा की परीक्षा में 92.5% अंक प्राप्त किए थे – प्रदीप के अनुसार उसके करियर के लिए सबसे बड़ा लाभ है.

उन्होंने कहा, “इस अध्ययन से उसे विपक्षी गेंदबाजों के दिमाग को पढ़ने और गेंद को हाथ में लेकर वे क्या कर सकते हैं, यह जानने में मदद मिली है. इसने उसे शांत, संयमित और स्थिर रहना सिखाया है, जो खेलते समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसलिए, मनोविज्ञान का अध्ययन उसके लिए बहुत फायदेमंद रहा है.”

धीरे-धीरे प्रतीका की कुछ साथियों को भारत के लिए क्रिकेट खेलने का मौका मिला. इस पर प्रदीप ने कहा, “मैंने उस समय कहा था कि जब समय आएगा, तो तुम भारत के लिए भी खेलोगी.” उन्होंने कहा कि आज जो कुछ भी है, वह उसकी 16-17 साल की कड़ी मेहनत के बाद आया है. इसमें समय लगता है, क्योंकि जब जो लिखा होता है, तो उसे पूरा होना ही होता है. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. भगवान ने हमें यह खुशी सही समय पर दी है, और इसके लिए हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं.”

22 दिसंबर, 2024 को वडोदरा के कोटांबी स्टेडियम में, प्रतीका ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट डेब्यू किया, जिसमें प्रदीप भी दर्शकों में शामिल थे. तब प्रतीका ने 40 रन बनाए थे. लेकिन प्रदीप की नजरें प्रतीका के बल्ले से निकलने वाले जादुई शतक की तलाश में थी. वह तीन बार शतक के करीब पहुंची और आखिरकार तमाम शानदार शॉट्स की धनी प्रतीका ने अपना शतक जमाया.

प्रदीप ने कहा, “जब वह शतक तक पहुंची, तो मुझे लगा कि उसे 150 रन बनाने चाहिए. उसके बाद, मुझे लगा कि उसे 200 रन बनाने चाहिए. लेकिन वह आउट हो गई, क्योंकि शॉट पर सही टाइमिंग नहीं थी. उसके बाद भी छह ओवर बचे थे.” प्रतीका ने निरंजन शाह स्टेडियम में प्लेयर ऑफ द मैच और प्लेयर ऑफ द सीरीज का पुरस्कार जीता था.

2025 भारत की सीनियर महिला टीम के लिए महत्वपूर्ण है. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज महत्वपूर्ण घरेलू विश्व कप से पहले होगी. प्रतीका के दमदार प्रदर्शन के बावजूद, वह बल्लेबाजी क्रम में स्मृति के साथ जोड़ी बनाने के लिए शेफाली वर्मा से प्रतिस्पर्धा करेंगी, जो घरेलू 50 ओवर के मैचों में बड़े स्कोर बना रही हैं.

कुछ लोगों का मानना ​​है कि प्रतीका अपने मजबूत ऑलराउंड खेल को देखते हुए तीसरे नंबर पर भी बल्लेबाजी कर सकती हैं. प्रदीप के अनुसार, उन्होंने वनडे विश्व कप चयन पर चर्चा नहीं की है क्योंकि प्रतीका 2025 डब्ल्यूपीएल अनुबंध नहीं मिलने के बाद अप्रैल में सीनियर महिला घरेलू रेड-बॉल मैचों की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं.

उन्होंने कहा, “हम अभी प्रथम श्रेणी के खेलों की तैयारी और योजना बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उसके बाद, अगर वह इंग्लैंड वनडे सीरीज के लिए चुनी जाती है, तो हम उसके लिए भी प्रशिक्षण पर काम करेंगे, और अगली सीरीज उसी पर होगी.”

प्रदीप का मानना ​​है कि भारतीय टीम में प्रतीका का करियर लंबा और शानदार होगा. उन्होंने कहा, “जब आप बहुत तपस्या करने के बाद इस मुकाम पर पहुंचते हैं, तो आपको अच्छा खेलकर देश की सेवा करनी होती है. अगर आप अपने लिए कुछ करते हैं, तो यह देश के लिए भी अच्छा होगा. मैं समझता हूं कि देश के लिए खेलना बहुत बड़ी बात है.”

उन्होंने कहा, “बड़े मैदानों और भारी भीड़ के सामने खेलने का बहुत दबाव होता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आपको बहुत समर्पण और इसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता होती है. यहां से आपको लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा और लंबे समय तक इस स्तर पर बने रहने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, जिसके लिए वह सक्षम है.”

एकेएस/एएस