कौन हैं अर्जुन बाबूता, जो ओलंपिक इतिहास में चौथे स्थान पर रहने वाले तीसरे भारतीय निशानेबाज बने

नई दिल्ली, 29 जुलाई . पेरिस ओलंपिक में भारत के युवा निशानेबाज अर्जुन बाबूता चौथे स्थान पर देश के लिए दूसरा मेडल लाने से काफी करीब से चूक गए. सोमवार को पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल फाइनल में चंडीगढ़ के इस 25 वर्षीय निशानेबाज ने 208.4 का स्कोर किया. इससे पहले 28 जुलाई को मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल में भारत को कांस्य पदक दिलाया था.

फाइनल के दौरान बाबुता पूरे समय पदक की दौड़ में बने रहे. लेकिन, अपने दूसरे आखिरी शॉट में वह केवल 10.1 अंक ही बना सके, जिससे वह तीसरे स्थान से खिसककर चौथे नंबर पर आ गए. उनके आखिरी शॉट में सिर्फ 9.5 अंक आने से उनका पदक जीतने का सपना टूट गया.

बाबूता ओलंपिक इतिहास में चौथे स्थान पर रहे तीसरे भारतीय निशानेबाज हैं. उनसे पहले जॉयदीप कर्माकर लंदन ओलंपिक (2012) में चौथे स्थान पर रहे थे. बीजिंग ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा रियो 2016 में चौथे स्थान पर रहे थे. यह एक ऐसा स्थान है जिस पर कोई एथलीट रहना पसंद नहीं करता.

अर्जुन बाबूता पंजाब के जलालाबाद क्षेत्र के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. यह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास का एक छोटा सा गांव है. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पैतृक गांव में पूरी की, और बाद में अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ आ गए, उनके पिता भारतीय रेलवे में कार्यरत थे. अर्जुन ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की.

अर्जुन ने एशियाई चैंपियनशिप, कोरिया (2023) में 10 मीटर एयर राइफल व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक हासिल करते हुए, देश के लिए ओलंपिक 2024 कोटा हासिल किया था. अर्जुन ने विश्व चैंपियनशिप, काहिरा (2022) में 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने आईएसएसएफ विश्व कप, चांगवोन (2022) में व्यक्तिगत और पुरुष टीम स्पर्धाओं में 2 स्वर्ण पदक जीते थे. उन्होंने वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भी 10 मीटर एयर राइफल व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था.

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