संघ की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर बैन हटने का सत्ता पक्ष ने किया स्वागत तो विपक्ष ने की निंदा

नई दिल्ली, 22 जुलाई . केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर सरकारी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में जाने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. इस पर अलग-अलग राजनीतिक दल प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

प्रतिबंध हटाने का समर्थन करते हुए बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, “इस कानून को पहले ही हटा लेना चाहिए था. आरएसएस एक देशभक्त संगठन है. सरकारी कर्मचारियों में देशभक्ति होना बहुत जरूरी है. इससे देश का डेवलपमेंट जल्दी होगा. आरएसएस से आखिर ब्रिटिशर्स क्यों नाराज थे, क्योंकि वह देश के खिलाफ थे. ब्रिटिशर्स ने इसलिए कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने से मना किया था, क्योंकि वह देश के खिलाफ थे. कांग्रेस भी ब्रिटिशर्स की तरह काम करती थी, इसलिए जनता ने उनको हटा दिया. जो केंद्र सरकार का फैसला है बहुत ही अच्छा है.

कांग्रेस नेता तरुण गोगोई के पुत्र और असम के कलियाबोर लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इस फैसले की आलोचना की. उन्होंने से बात करते हुए कहा, “यह तो आरएसएस चीफ मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बीच जुगलबंदी है. आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले मणिपुर को लेकर सवाल उठाए थे, फिर भगवान और सुपर ह्यूमन को लेकर सवाल उठाए. यह इशारा किसकी ओर था, सबको पता है. अब उनको ठंडा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रकार के निर्देश दे रहे हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश की एजेंसियां जैसे एनटीए, यूपीएससी, उच्च शिक्षा, यूनिवर्सिटियों की आज क्या दुर्दशा है.”

इसके अलावा भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने एक्स हैंडल पर कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी उस आदेश का स्क्रीनशॉट डाला जिसमें इस आदेश को निरस्त किया गया है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “58 साल पहले, 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था, को अब मोदी सरकार ने वापस ले लिया है.”

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “सरदार पटेल ने गांधी जी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया था.“

गौरतलब है कि है कि 30 नवंबर 1966 को केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया.

हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य की सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़ने के नियम में पहले ही फेरबदल कर दिया है.

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