नई दिल्ली, 18 सितंबर . सुबह ड्यूटी पर जाने की आपाधापी और शाम को घर जाने की जल्दबाजी में अक्सर हमारी रातों की नींद प्रभावित हो जाती है. क्योंकि, काम का दबाव ही कुछ ऐसा होता है कि हम ठीक से नींद नहीं ले पाते हैं.
काम के बोझ की वजह से मानसिक तनाव इतना होता है कि नींद अगर आती भी है तो कुछ देर में आंख खुल जाती है. फिर रात भर नींद के इंतजार में सुबह हो जाती है. इस तरह की समस्या से आप भी शायद जूझ रहे होंगे. हालांकि, लोग आरामदायक नींद पाने के लिए न जाने कितनी ही नई तरकीब अपनाते हैं.
लेकिन, क्या आपको ग्रीन नॉइज़ या व्हाइट नॉइज़ के बीच का अंतर मालूम है. इन दोनों में बेहतर कौन सा है. चलिए इसे विस्तार से समझते हैं.
ग्रीन नॉइज़ से तात्पर्य यह है कि इसमें ऐसा शोर होना, जो आपके दिमाग को शांति दे. शरीर शांति महसूस करे. जैसे की जंगल में पानी पीते जानवरों की हल्की-हल्की आवाज, सुबह की चलने वाली हवाओं के बीच का शोर. इसे अच्छी नींद के लिए ग्रीन नॉइज़ कहा जाता है. इंसान को अच्छी नींद दिलाने के लिए यह ग्रीन नॉइज़ काफी कारगर साबित होती है.
व्हाइट नॉइज़ के बारे में आप जानते हीं होंगे. क्योंकि यह ऐसा शोर है जो अक्सर आप अपने घरों में महसूस करते हैं. जैसे पंखे का शोर, कूलर का शोर, फ्रिज का शोर, बालकनी में तेज हवाओं के बीच दरवाजे का शोर.
अब सवाल यह है कि ग्रीन नॉइज़ और व्हाइट नॉइज़ में से नींद के लिए बेहतर विकल्प कौन सा है.
एक्सपर्ट मानते हैं कि ग्रीन नॉइज़ नींद के लिए काफी बेहतर है. इसका उपयोग आप अपनी फोकस क्षमता को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं.
वहीं व्हाइट नॉइज़ में सभी फ्रीक्वेंसी में बराबर ऊर्जा होती है.
हालांकि, यह आप पर है कि आपको कौन सी नींद अच्छी लगती है कि किसी को शांत वातावरण जैसे ग्रीन नॉइज़ वाली नींद अच्छी लग सकती है और किसी को कठोर ध्वनि वाली व्हाइट नॉइज़ पसंद आ सकती है.
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डीकेएम/जीकेटी