जब जनता पराजित करे, तो उसे स्वीकार कीजिए: कैलाश विजयवर्गीय

नागपुर, 13 फरवरी . मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के महाराष्ट्र चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हार और जीत होती रहती है. जब आप जीत जाते हैं, तो खुश होते हैं, लेकिन जब हार जाते हैं, तो आप आरोप लगाना शुरू कर देते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि आपको अपनी हार को भी स्वीकार करना चाहिए.

नागपुर में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए विजयवर्गीय ने हार को स्वीकारने की सलाह कांग्रेस को दी. कटाक्ष किया कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा छोड़. जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो आप चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करना शुरू कर देते हैं. यह उचित नहीं है. अगर आप एक राजनेता हैं, तो आपको एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत अपनी हार और जीत दोनों ही स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

कैलाश विजयवर्गीय ने राहुल गांधी को एक गंभीर राजनेता के रूप में व्यवहार करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि अगर आपके पास अपने किसी भी आरोप को लेकर कोई साक्ष्य है, तो आप उसे प्रस्तुत कीजिए, लेकिन अगर आपके पास ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं है, तो मुझे लगता है कि आपको इस तरह के आरोप लगाने से बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाकर जनमत का अपमान किया जा रहा है. आप इस देश के संवैधानिक ढांचे का अपमान कर रहे हैं, जिसे इस देश का कोई भी नागरिक किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकता है.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता जनमत देती है और अगर जनता ने आपको हराया है, तो आप मेहरबानी करके उसे स्वीकार कीजिए.

भाजपा नेता ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि अगर उनके पास अपने किसी भी आरोपों के संदर्भ में कोई साक्ष्य है या कोई वीडियो है, तो उसे सामने लाए. आखिर वो आरोप ही क्यों लगा रहे हैं. उन्हें तो सामने आकर इस संबंध में बाकायदा साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सिर्फ हवा में आरोप लगाकर प्रजातंत्र और संवैधानिक ढांचे को बदनाम करने की कांग्रेस की कोशिश है.

वहीं, नितेश राणे के मदरसों को लेकर दिए बयान पर भी कैलाश विजयवर्गीय ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि देखिए, खुफिया एजेंसियां अपना काम कर रही हैं. मैं नितेश राणे जी के बयान का पूरी तरह से समर्थन नहीं करता हूं. मैं बंगाल में रहा हूं और वहां के मदरसों में देश विरोधी शिक्षाएं दी जाती थीं, ये मुझे मालूम है. वहीं, इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता है कि इस देश में कई ऐसे मदरसे हैं, जो अच्छा काम कर रहे हैं.

एसएचके/केआर