बीपीएससी के विरोध में प्रदर्शन के तेज होने पर खान सर ने कहा, ‘री-एग्जाम ही एकमात्र रास्ता है’

पटना, 18 फरवरी . बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (सीसीई) की री-एग्जाम की मांग को लेकर पटना में अभ्यर्थियों और शिक्षकों का विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया है. खान सर के नाम से मशहूर जाने-माने शिक्षक फैजल खान इन प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि कथित अनियमितताओं को दूर करने के लिए री-एग्जाम ही एकमात्र रास्ता है.

से बात करते हुए खान सर ने आंदोलन की गैर-राजनीतिक प्रकृति की ओर इशारा किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा प्रधान सचिव दीपक कुमार से री-एग्जाम की उनकी मांगों पर विचार करने की अपील की.

उन्होंने कहा, “हमारी केवल एक मांग है, री-एग्जाम. इससे कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा.” विरोध-प्रदर्शनों में अभ्यर्थियों और शिक्षकों दोनों की महत्वपूर्ण भागीदारी देखी गई.

प्रदर्शनकारियों ने 17 फरवरी को पटना के मुल्लाल्लाहपुर से गर्दनी बाग तक मार्च निकाला, हाथों में तख्तियां लेकर परीक्षा रद्द करने की मांग की.

खान सर ने कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा जताते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय में सभी सबूत प्रस्तुत किए गए हैं, और उन्हें छात्रों के पक्ष में फैसला आने की उम्मीद है.

खान सर ने कहा, “हमारे पास गया और नवादा कोषागार से गायब प्रश्नपत्रों सहित महत्वपूर्ण सबूत हैं, इसके अलावा सीवान और मोतिहारी के केंद्रों पर उम्मीदवारों को निर्धारित अवधि से अधिक समय दिया गया, जिससे उन्हें अनुचित लाभ मिला.”

उन्होंने दावा किया कि प्रश्नपत्र सेट को गलत तरीके से हैंडल किया गया. इन्हें 13 दिसंबर को परीक्षा के बाद गया और नवादा के ट्रेजरी में सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाना था.

उन्होंने कहा, “ये सेट नवादा और गया जिलों के ट्रेजरी में जमा नहीं किए गए.” बापू परीक्षा परिसर में अनियमितताओं के बाद, लगभग 12 हजार छात्रों ने 4 जनवरी 2025 को फिर से परीक्षा दी.

खतरनाक बात यह है कि नए क्वेश्चन सेट तैयार करने की बजाय बीपीएससी ने कथित तौर पर 4 जनवरी को बिहार के 22 केंद्रों पर आयोजित पुनर्परीक्षा के दौरान नवादा और गया से गायब हुए पेपर का फिर से इस्तेमाल किया.

इससे नतीजों में काफी अंतर आया, 13 दिसंबर की परीक्षा में केवल छह प्रतिशत उम्मीदवार ही पास हुए, जबकि 4 जनवरी की पुनर्परीक्षा में 19 प्रतिशत सफल हुए.

खान सर ने कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधान सचिव दीपक कुमार री-एग्जाम आयोजित करके इस मुद्दे को तुरंत हल कर सकते हैं. मुझे न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है. प्रस्तुत साक्ष्य पटना उच्च न्यायालय को छात्रों के पक्ष में फैसला देने के लिए मजबूर करेंगे.”

एससीएच/एकेजे