New Delhi, 25 जून . आपातकाल के 50 साल पूरे हो गए हैं. तत्कालीन इंदिरा गांधी Government ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया था. इसी बीच ‘मोदी स्टोरी’ नाम के social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ से आपातकाल के दौरान पीएम Narendra Modi से जुड़ी कुछ कहानियां शेयर की गई हैं, जिसमें बताया गया है कि कैसे आपातकाल के सबसे बुरे दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए कई लोग आगे आए. उनमें से एक युवा Narendra Modi भी थे, जिन्होंने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जमीनी स्तर पर संघर्ष किया.
वीडियो में यह भी बताया गया है कि कैसे उन्होंने आपातकाल के दौरान अपनी पहचान छिपाने के लिए भेष बदला और छात्रों को तानाशाही के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया.
विजय राजपाल ने बताया कि 1973 में Ahmedabad स्थित आरएसएस कार्यालय में Narendra Modi से पहली बार मुलाकात हुई थी. देश में जब आपातकाल लगा था तो एक बार उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि मैं आपके यहां रहना चाहता हूं, आपको कोई परेशानी तो नहीं है. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने यहीं से Police की नजर से बचने के लिए पगड़ी पहननी सीखी थी.
विजय राजपाल ने बताया कि Narendra Modi ने Gujarat के अंदर लोगों को जोड़ने के लिए जन-आंदोलन चलाया था. ऐसे में Police से बचने के लिए उनको सुझाव दिया गया कि क्यों न सरदार की वेशभूषा धारण करें. फिर हम चांदनी चौक इलाके में गए, जहां उन्होंने पगड़ी खरीदी और सरदार का वेश धारण करके दिल्ली से Gujarat का सफर मेरे साथ किया.
वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में रह रहे एनआरआई प्रकाश मेहता ने बताया कि Narendra Modi ने छात्रों को आपातकाल के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने हॉस्टल में गुप्त बैठकें की और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर पेंटिंग और स्लोगन के माध्यम से संदेश फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया.
प्रकाश मेहता ने वीडियो में बताया कि Police को हॉस्टल परिसर के अंदर आने की अनुमति नहीं थी. इसका फायदा उठाकर हम हॉस्टल के अंडर ग्राउंड रूम में मीटिंग करते थे. एक बार उन्होंने कहा हमें सब जगह दीवारों पर स्लोगन लिखना है ‘इमरजेंसी हटाओ.’ दीवारों पर लिखने में बहुत टाइम लगता है. उन्होंने मुझे कहा कि आप इंजीनियरिग के छात्र हो, कोई आइडिया नहीं है. फिर उन्होंने Police से बचने का एक आइडिया बताया कि स्टील स्टेंसिल बनाना, जिसमें सारे स्लोगन लिखे गए थे. दो मिनट में पूरे स्लोगन दीवारों पर लिखे जाते थे.
Gujarat के पूर्व पार्षद दक्षेश मेहता ने आपातकाल के दौर को याद करते हुए बताया, “आपातकाल के दौरान, अहम दस्तावेजों और साहित्य को अक्सर Ahmedabad स्थित आरएसएस कार्यालय से ले जाना पड़ता था, ऐसे में Police से पकड़े जाने से बचने के लिए Narendra Modi ने उन्हें ले जाने के लिए उम्रदराज लोगों की बजाय युवाओं को भेजने के लिए कहा, जिससे वह Police की जांच से बच निकलते थे. यह एक छोटा सा काम लगता था, लेकिन यह एक युवा मोदी की दूरदर्शिता और रणनीतिक स्पष्टता को दर्शाता था.”
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महंत स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने वीडियो में बताया कि बहुत कम लोग जानते हैं कि आपातकाल के दौरान Narendra Modi ने कई सप्ताह गरुड़ेश्वर मंदिर में ध्यान लगाया था.
उन्होंने बताया कि मैंने उनसे पूछा कि गरुड़ेश्वर की महिमा के बारे में क्या पता है. उन्होंने कहा कि स्वामी जी मैं गरुड़ेश्वर में 3-4 महीने साधु के रूप में रहा हूं, जब वह बता रहे थे, तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे. आज भी मुझे वो प्रसंग याद आता है. उन्होंने बताया था कि साधु के रूप में रहा हूं और मैंने वहां पर तपस्या भी की.
फिर, मैंने उनसे दूसरा सवाल पूछा कि आपको 2-3 महीने का समय कैसे मिल गया. उन्होंने बताया कि मैं आपातकाल के दौर में रहा था और मैंने वहां तपस्या करके कुछ अनुभूति प्राप्त की. मैं गरुड़ेश्वर की महिमा को जानता हूं. जो बात दत्त संप्रदाय के लोगों को भी पता नहीं है, Maharashtra, Gujarat के लोगों को पता होनी चाहिए, लेकिन आम लोगों को पता नहीं है, वो बात देश का Prime Minister मुझे सुना रहे हैं और यह बताकर कि 3-4 महीने में वहां तपस्या करके रहा, जो कभी मैंने वहां जाकर के नहीं किया, ये बात मेरे लिए बहुत बड़ी होगी.
निर्मल मोटवानी ने बताया कि जब मैं घर में बैठा था तो एक आदमी आया और उसने मुझे यह बोला कि आपको कोई सरदार जी मिलने आए हैं, जो आरएसएस कार्यालय के बाहर खड़े हैं. इसके बाद मैं घर से निकला और आरएसएस कार्यालय गया. वहां देखा कि वास्तव में सरदार जी खड़े थे. उन्होंने बोला कि मैं सिरूमल के परिवार से मिलने आया हूं, वह जूनागढ़ जेल में बंद थे. उनके परिवार का हालचाल जानने आया हूं तो आप मुझे उनके घर ले चलिए. फिर मैं उनको उनके घर लेकर गया और उनका परिवार वालों के साथ परिचय करवाया. उस वक्त उन्होंने वहां खाना भी खाया और 700 रुपए भरण-पोषण के लिए भी दिए.
सिरूमल की पत्नी ने उनसे कहा कि मैं चाहती हूं कि मेरे पति को घर का खाना मिले. Narendra Modi ने उनसे कहा कि आप मुझे टिफिन में खाना दे दीजिए, मैं वहां जाकर पहुंचा दूंगा. इसके बाद Narendra Modi और मैं बस में बैठकर जूनागढ़ गए थे और जेल में जाकर उन्हें घर का खाना भी खिलाया.
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एसके/एबीएम