नई दिल्ली, 3 अक्टूबर . कहते हैं कि मनुष्य से अधिक प्रेम पशु, पक्षियों और पौधों में दिखाई पड़ता है, जिनके पास ना कोई संस्कृति है और ना कोई धर्म है. लेकिन, कहीं ना कहीं पशुओं का कल्याण इंसानों पर ही निर्भर होता है. इसलिए इंसान और पशु के बीच का रिश्ता बहुत खास तब बन पाता है, जब वह पशुओं के संरक्षण के लिए भी कदम उठाए.
ऐसी ही एक पहल शुरू की गई थी साल 1925 में, जो आज भी बरकरार है. विश्व में हर साल 4 अक्टूबर को ‘विश्व पशु कल्याण दिवस’ मनाया जाता है. इसे शुरू करने का उद्देश्य दुनिया भर में पशु अधिकारों और कल्याण का जश्न मनाना है.
दरअसल, ‘विश्व पशु कल्याण दिवस’ की शुरुआत एक वैज्ञानिक हेनरिक जिमरमैन ने की थी. उन्होंने जर्मनी के बर्लिन में 24 मार्च, 1925 को पहला विश्व पशु दिवस आयोजित किया, जिसमें 5,000 से अधिक लोगों ने शिरकत की. लेकिन, बाद में ‘विश्व पशु दिवस’ मनाने के लिए 4 अक्टूबर की तारीख तय की गई. इसके बाद मई 1931 में इटली के फ्लोरेंस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पशु संरक्षण कांग्रेस के एक सम्मेलन में 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस मनाने के लिए सर्वसम्मति के साथ एक प्रस्ताव पारित किया गया.
‘विश्व पशु कल्याण दिवस’ को मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को जानवरों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है. इसके तहत जानवरों की जिंदगी में सुधार लाना, उनके प्रति प्यार जताना है, ताकि पशुओं का भविष्य सुनिश्चित हो सके. यही नहीं, इस दिन कई कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जिसमें विलुप्त हो रही पशुओं की प्रजातियों को बचाने पर जोर दिया जाता है. साथ ही उनके संरक्षण को लेकर भी कदम उठाए जाते हैं.
दुनिया भर के देशों में पशुओं के संरक्षण के लिए कानून भी बनाए गए हैं. भारत की बात करें तो यहां पशुओं की सुरक्षा के लिए “जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम 1966″ को लाया गया था. हालांकि, भारत के 10 राज्य ऐसे हैं, जहां कई तरह के जानवरों को काटने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जबकि 18 राज्यों में गो-हत्या पर पूरी या आंशिक रोक है.
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एफएम/जीकेटी