वाशिंगटन, 26 मार्च, . अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने फैसलों से कई देशों को टेंशन दे रहे हैं. अब उन्होंने चीन और पाकिस्तान को झटका दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने 70 से अधिक कंपनियों को व्यापार प्रतिबंध सूची में डाल दिया है. इनमें चीन, पाकिस्तान, यूएई सहित कई देशों की कंपनियां शामिल है.
अमेरिका इस फैसले की वजह राष्ट्रीय सुरक्षा को कारण बता रहा है. वाशिंगटन उन कंपनियों को टारगेट कर रहा है जो चीन, रूस और ईरान के हथियार कार्यक्रमों में मदद कर रही है.
अमेरिकी पाबंदियों की वजह से पाकिस्तानी कंपनियों के लिए इंटरनेशनल व्यापार मुश्किल हो जाएगा.
पाकिस्तान के लिए यह पाबंदियां किसी सदमे से कम नहीं है. देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसमें उच्च मुद्रास्फीति, मुद्रा का अवमूल्यन, तथा कम विदेशी मुद्रा भंडार शामिल हैं. देश में खाद्यान्न, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है, जिससे आम नागरिकों की आजीविका प्रभावित हो रही है. पाकिस्तानी रुपया प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ रहा है.
पाकिस्तान की आर्थिक संकट से उबरने में नाकाम रहने का एक कारण देश में राजनीतिक अस्थिरता, अलगाववादी आंदोलन और आतंकवादी हमले हैं. देश के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में अलगाववादी आवाजें जोर पकड़ रही हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे चरमपंथी संगठन सीधे सरकार को चुनौती दे रहे हैं. बलूचिस्तान के साथ ही खैबर पख्तूनख्वा प्रांत भी आतंकी हिसा गढ़ बनता जा रहा है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे संगठन लगातार सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं.
पाकिस्तान अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से ऋण सहित बाहरी वित्तपोषण पर बहुत अधिक निर्भर है.
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जलवायु परिवर्तन को कम करने और उससे निपटने के लिए देश के प्रयासों का समर्थन करने के लिए 28 महीने की अवधि के लिए 1.3 बिलियन डॉलर के ऋण पैकेज के लिए पाकिस्तान के साथ एक कर्मचारी-स्तरीय समझौता किया है. यह नया समझौता चल रहे 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम की पहली समीक्षा पर एक समझौते के साथ हुआ है.
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