New Delhi, 19 अगस्त . भारतीय समुद्री उत्पादों पर अमेरिकी व्यापार के प्रभाव का विषय Tuesday को संसद में उठा. इस पर केंद्र Government के मत्स्यपालन विभाग ने Lok Sabha में बताया कि India Government अमेरिका द्वारा India के समुद्री उत्पादों सहित कुछ वस्तुओं के आयात पर लगाए गए ट्रेड संबंधी पहलों से अवगत है. इनमें स्वच्छता अनुपालन और सस्टेनेबिलिटी संबंधी आवश्यकताएं शामिल हैं. Government का कहना है कि अमेरिका द्वारा उठाए गए ये कदम कई ट्रेडिंग पार्टनर्स पर लागू होते हैं और केवल India तक सीमित नहीं हैं.
मत्स्यपालन विभाग ने कहा कि आंध्र प्रदेश सहित भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात पर समग्र प्रभाव कई कारकों से निर्धारित होता है. इनमें उत्पाद में भिन्नता, मांग की स्थिति, गुणवत्ता मानकों और निर्यातकों व आयातकों के बीच संविदात्मक व्यवस्था जैसे कारक शामिल हैं. केंद्रीय पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने लिखित जानकारी में बताया कि Government, समुद्री खाद्य निर्यातकों, उद्योग संघों, उद्यमियों और राज्य मत्स्यपालन विभागों के परामर्श से मछुआरों, समुद्री खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों के कल्याण को प्राथमिकता दे रही है.
उन्होंने कहा कि Prime Minister मत्स्य संपदा योजना और फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड के अंतर्गत Government फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और सुदृढ़ीकरण में सहयोग दे रही है. इसमें फिशिंग हार्बर्स और फिश लैंडिंग सेंटर्स का उन्नयन, मॉडर्न पोस्ट-हार्वेस्ट, कोल्ड चैन और प्रोसेसिंग सुविधाओं का विकास शामिल हैं. इसके अलावा री-सर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम और बायोफ्लोक जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाना, गुणवत्ता परीक्षण और डायग्नोस्टिक लैबोरेटरीज की स्थापना, निर्यातोन्मुखी प्रजातियों को बढ़ावा देना आदि भी इसमें शामिल है.
उन्होंने आगे बताया कि मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) समुद्री खाद्य निर्यात को प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका निभा रहा है. इसके तहत निर्यातकों का पंजीकरण किया जाता है, गुणवत्ता मानक तय किए जाते हैं और विदेशी आयातकों से समन्वय स्थापित किया जाता है. एमपीईडीए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों और खरीदार-विक्रेता बैठकों में भागीदारी के माध्यम से भारतीय समुद्री उत्पादों को वैश्विक बाजार में बढ़ावा दिया जा रहा है.
Union Minister ने कहा कि अमेरिकी बाजार सहित विभिन्न निर्यात बाजारों में भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात की निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए Government कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. अमेरिका सहित विभिन्न निर्यात बाजारों में आपूर्ति बनी रहे, इसके लिए समुद्री प्रजातियों के आकलन हेतु ‘मरीन मैमल स्टॉक असेसमेंट प्रोजेक्ट’ लागू किया जा रहा है. इसके साथ ही Prime Minister मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत झींगा ट्रॉलरों में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस लगाने में सहयोग दिया जा रहा है, जिससे समुद्री कछुओं का संरक्षण संभव हो सके.
योजना के तहत सी रैंचिंग यानी समुद्री प्रजातियों को समुद्र में पुनः छोड़ने का कार्य किया जा रहा है. कृत्रिम रीफ की स्थापना की गई है तथा अन्य जैव विविधता संरक्षण उपाय भी अपनाए जा रहे हैं. इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल मछुआरों की आजीविका सुरक्षित करना है, बल्कि प्रजातियों और निर्यात बाजारों का विविधीकरण करते हुए India के समुद्री क्षेत्र की दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी सुनिश्चित करना है. इस तरह India वैश्विक स्तर पर एक सतत और जिम्मेदार समुद्री खाद्य निर्यातक के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है.
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जीसीबी/डीएससी