नई दिल्ली, 27 मार्च . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को एक पत्र लिखा. उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को ‘साझा इतिहास’ बताते हुए आपसी संवेदनशीलता के महत्व पर प्रकाश डाला है.
26 मार्च को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आपको और बांग्लादेश की जनता को शुभकामनाएं देता हूं.”
पीएम मोदी ने लिखा, “यह दिन हमारे साझा इतिहास और बलिदान का प्रमाण है, जिसने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की नींव रखी. बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की भावना हमारे संबंधों के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है, जो विभिन्न क्षेत्रों में फलीभूत हुई और हमारे लोगों को ठोस लाभ पहुंचा रही है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम शांति, स्थिरता, समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं से प्रेरित होकर, एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपने बांग्लादेशी समकक्ष मोहम्मद शहाबुद्दीन को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने लोकतांत्रिक और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को दोहराया.
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “सरकार, भारत के लोगों और अपनी ओर से, मैं आपके राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर महामहिम और बांग्लादेश के मित्रवत लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं.”
पिछले साल अगस्त में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. हसीना को भारत भागने पर मजबूर होना पड़ा. सत्ता परिवर्तन के बाद बनी अंतरिम सरकार का नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं. तब से अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं. भारत ने इस पर बांग्लादेश के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है.
बांग्लादेश 26 मार्च को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, जिसे बांग्लादेश राष्ट्रीय दिवस कहा जाता है. यह 1971 में पाकिस्तान से देश के अलग होने की याद में मनाया जाता है.
भारत और बांग्लादेश 6 दिसंबर को ‘मैत्री दिवस’ के रूप में मनाते हैं. इस दिन 1971 में भारत सरकार ने बांग्लादेश को एक देश के रूप में मान्यता दी थी.
भारत भूटान के बाद दूसरा देश था, जिसने 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को एक संप्रभु और स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी.
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एमके/