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New Delhi, 22 नवंबर . सर्दियों में कई लोगों को लगता है कि ठंड के कारण शरीर सुस्त हो जाता है और वजन बढ़ने लगता है, लेकिन हाल की वैज्ञानिक शोधों ने एक दिलचस्प सच सामने रखा है. शोध बताते हैं कि जैसे-जैसे तापमान गिरता है, शरीर के भीतर मौजूद ब्राउन फैट या ब्राउन एडिपोज़ टिश्यू सक्रिय हो जाता है. यह वही फैट है जो शरीर को गर्म रखने के लिए ऊर्जा जलाता है. यानि ठंड के मौसम में अगर शरीर का ब्राउन फैट अधिक सक्रिय हो, तो यह कैलोरी खर्च बढ़ाकर वजन घटाने में भी मदद कर सकता है.
2022 में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण अध्ययन ‘फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी’ में छपा शोध बताता है कि ठंड के संपर्क में आने पर शरीर में एनर्जी लॉस होता है और ब्राउन फैट की गतिविधि तेज हो जाती है. इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि हल्की ठंड, जैसे 17–19 डिग्री तापमान, शरीर के मेटाबॉलिक रेट को बढ़ा सकती है. इसका मतलब यह है कि बहुत तेज ठंड जरूरी नहीं, बल्कि हल्की या नियंत्रित ठंड भी शरीर को अधिक कैलोरी जलाने के लिए प्रेरित कर सकती है.
इसी तरह एक अन्य प्रसिद्ध रिसर्च, जिसे 2014 में ‘एंडोक्राइन सोसाइटी’ में ‘आइसमैन स्टडी’ के रूप में पेश किया गया था, बताता है कि लगातार कुछ दिनों तक हल्के ठंडे वातावरण में सोने से शरीर में ब्राउन फैट की मात्रा और उसकी कार्यक्षमता दोनों बढ़ने लगती हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस शोध में इंसुलिन सेंसिटिविटी में भी सुधार देखा गया, जो वजन नियंत्रण और डायबिटीज के जोखिम को कम करने में अहम भूमिका निभाता है.
इन शोधों के आधार पर यह समझना आसान हो जाता है कि सर्दियों में ब्राउन फैट एक्टिवेशन सिर्फ एक जैविक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक ऐसा तंत्र है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है. ब्राउन फैट सामान्य वाइट फैट से अलग होता है. वाइट फैट ऊर्जा को जमा करता है, जबकि ब्राउन फैट ऊर्जा को जलाकर गर्मी पैदा करता है. यही कारण है कि सर्दियों में हल्की ठंड का नियंत्रित संपर्क जैसे खुली हवा में थोड़ी देर टहलना, हल्का ठंडा कमरा, या नियमित ठंडे तापमान का एक्सपोजर—शरीर के मेटाबॉलिज्म को सक्रिय कर सकता है.
सर्दियों का मौसम आम तौर पर आलस या वजन बढ़ने से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन विज्ञान दिखा रहा है कि यही मौसम अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो शरीर के सबसे शक्तिशाली मेटाबॉलिक सिस्टम ‘ब्राउन फैट’ को सक्रिय कर वजन नियंत्रण में मदद मिल सकती है.
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केआर/