
भारत में मुगलिया सल्तनत की जड़े इतनी विशाल रही हैं कि इसकी कहानी कभी दर्शकों को निराश नहीं करती हैं. सम्राट जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर का जीवन और उनके राजकाज को लेकर इतिहास के पन्नों में इतनी सामग्री है कि यह हर बार दर्शकों के लिए कुछ न कुछ नया ही परोसती है. हमने इस विषय पर कई ब्लॉकबस्टर फिल्में और शोज पहले भी देखते हैं. बावजूद इसके अभिमन्य सिंह के वेब शो ‘ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड’ इस विषय पर बने अब तक के सबसे संपूर्ण कहानियों में से एक है.
‘ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड’ की कहानी
शहंशाह अकबर को अपनी राजगद्दी के लिए उत्तराधिकारी की तलाश है. कोई ऐसा, जो उनकी विरासत को आगे बढ़ा सके. योग्य हो. लेकिन उनकी इस तलाश के बीच मुगल राज में गंदी राजनीति, विश्वासघात और खूनी पारिवारिक झगड़े भी हैं. सत्ता के लिए एक ऐसी कूटनीतिक लड़ाई छिड़ चुकी है, जहां हर किसी को जीतना है. लेकिन इसमें किसकी जीत होगी और किसे मात मिलेगी, यह तो वक्त ही बताएगा.
‘ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड’ का रिव्यू
सीरीज का प्लॉट उस युग में सेट है जब अकबर का लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन था. यह शो मुख्य रूप से उनके तीन बेटों – सलीम (आशिम गुलाटी), मुराद (ताहा शाह बादुशा) और दानियाल (शुभम कुमार मेहरा) के साथ अकबर के संबंधों पर केंद्रित है. ये तीनों ही उत्तराधिकारी बनने की दौड़ में हैं. फलते-फूलते मुगल साम्राज्य को एक मजबूत उत्तराधिकारी चाहिए. लेकिन इन भाइयों के आपसी मतभेद, और उनके खुद के व्यक्तित्व की कहानियां इस सीरीज को मजबूत और आकर्षक बना देती हैं.
वैसे तो सीरीज सच्ची घटनाओं के आधार पर है, लेकिन मेकर्स ने अकबर के शक्तिशाली और जटिल परिवार के अंदर चल रही कूटनीति को पर्दे पर दिखाने के लिए अपनी क्रिएटिविटी का भी पूरा इस्तेमाल किया है. सीरीज देखते हुए आप कई बार यह सोचने लगते हैं कि जो दिखाया जा रहा है कि वह तथ्यात्मक रूप से कितना सही है. सीरीज में बहुत सारे कैरेक्टर्स हैं और इनमें से लगभग हर किसी का एक अलग ट्रैक है. अच्छी बात यह है कि दूसरे शोज की तरह यह उबाऊ नहीं लगती या फिर प्लॉट से भटकती नहीं है. सम्राट अकबर की कहानी के इस एक्सटेंडेड कैनवास पर ये कहानियां काल्पनिक रूप से जुड़ती चली जाती हैं.
‘ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड’ का ट्रेलर
नसीरुद्दीन शाह ने हमेशा की तरह इस बार भी मुगल सम्राट अकबर के रोल में अविश्वसनीय काम किया है. उन्होंने अकबर के जटिल व्यक्तित्व में अपनी एक्टिंग से जान फूंक दी है. हम एक शासक को देखते हैं, जो अविश्वसनीय है. वह जो दूसरों के प्रति इतना मानवीय, विचारशील और उदार होने के साथ-साथ कई मौकों पर बर्बर और असंवेदनशील भी है. हालांकि, अकबर के रूप में नसीरुद्दीन शाह का गेटअप शहंशाह कम और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसा ज्यादा दिखता है. आशिम गुलाटी सीरीज में सलीम के किरदार में हैं और उनमें एक आकर्षण है. उसे औरतों का शौक है और वह इस किरदार को बखूबी निभाते हैं. ताहा शाह बादुशा एक गुस्सैल और क्रूर राजकुमार मुराद की भूमिका में हैं, लेकिन कई मौकों पर लगता है कि उनके एक्सप्रेशंस और अच्छे हो सकते थे.
शुभम कुमार मेहरा ने भगवान से डरने वाले और विनम्र स्वभाव के दानियाल का किरदार निभाया है. अदिति राव हैदरी सीरीज में अनारकली के रूप में शानदार हैं. लेकिन यह भी सच है कि उनके पास प्लॉट और कहानी में बहुत कुछ करने की गुंजाइश नहीं है. संध्या मृदुल और जरीना वहाब बेहतरी एक्टर्स हैं और उन्होंने अपनी प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल किया है. दोनों अकबर की पत्नियों जोधा और सलीमा के रोल में हैं. अकबर के गद्दार भाई मिर्जा हकीम के रूप में राहुल बोस भी अच्छे लगे हैं.
अपने लंबे और कई सारे ट्विस्ट-टर्न वाले एपिसोड के साथ यह वेब सीरीज लगातार अपनी गति से बहती चली जाती है. सबसे अच्छी बात है कि बतौर दर्शक आपका इंटरेस्ट यानी आपकी रुचि बनी रहती है. सीरीज का कैनवास मनोरम है. यह दिखने में भी अच्छा लगता है. ऐतिहासिक प्रतिष्ठित स्मारकों, स्थान, भव्य सेट, कुछ रीयल लोकेशन, लोगों की भीड़, जानवर, बारूद, युद्धक्षेत्र, पूरी वेब सीरीज को ऐसे फिल्माया गया है कि आप इसे देखते हुए बड़े पर्दे वाला अनुभव पाते हैं. कहानी भी आराम से हवा की तरह बहती है. न तेज, न धीमी. लेकिन जो एक चीज अटकती है, वह हैं डायलॉग्स. इस पर थोड़ी और मेहनत की जा सकती थी.
कुल मिलाकर ‘ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड’ रोमांचक और मनोरंजक है. क्रिस्टोफर बुटेरा का स्क्रीनप्ले आपको बांधकर रखता है. राजघरानों की कहानी में हमारी दिलचस्पी जिन चीजों को लेकर भी होती है, वह सब इस सीरीज में है. फिर चाहे वह प्यार हो, वासना हो, सत्ता के भूखे राजघरानों की कूटनीति हो, सबकुछ इस दिलचस्प कहानी में है. मुगलों की कहानी को जानना हमेशा से मजेदार रहा है, एक ऐसा साम्राज्य जिसने देश पर शासन किया था. वह जो अजेय माना जाता था.