हम जम्मू-कश्मीर में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल होंगे : जितेंद्र सिंह (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 28 अगस्त . केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को न्यूज एजेंसी से खास बातचीत करते हुए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर जमकर प्रहार किया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर, राम माधव की वापसी, प्रधानमंत्री जनधन योजना के 10 साल होने समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की.

सवाल : क्या जम्मू-कश्मीर में भाजपा अकेले ही सरकार बनाएगी या फिर दूसरी पार्टियों के लिए दरवाजे खुले हैं?

जवाब : मुझे लगता है कि इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी. भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आश्वस्त है, हम जम्मू-कश्मीर में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल होंगे.

सवाल : कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ आने के मायने क्या हैं?

जवाब : हकीकत तो ये है कि इनका पहले भी गठबंधन होता रहा है, सिर्फ नाम बदलते रहे. यूपीए नाम था फिर इंडिया अलांयस हुआ. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी यह इकट्ठा लड़े थे. उस समय कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का अलायंस था, 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपीए के नाम से चुनाव लड़े. 2024 में इंडिया गठबंधन के नाम से लड़े. ये नाम बदलते है परंतु गठबंधन होना कोई नई और चौंकने वाली बात नहीं है. भाजपा के खिलाफ एक साथ होकर लड़ते रहे हैं, भाजपा का वोट शेयर जैसा पहले था अभी भी वैसा ही है. मुझे नहीं लगता कि भाजपा के लिए यह चुनौती है.

सवाल : कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सत्ता में आने पर फिर से आर्टिकल 370 को वापस लाने की बात कही है, इस पर आप क्या कहेंगे?

जवाब : कांग्रेस खुलकर ये कहने की स्थिति में नहीं है कि 370 हटाने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि देश भर में इससे उनको नुकसान पहुंचेगा. घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि वह 370 को दोबारा बहाल करेंगे. उस बात का कांग्रेस घाटी में खंडन करे यह उस बात को कहने की स्थिति में भी नहीं है. वो अपने विरोधाभास में फंस चुके हैं. कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में 50-60 साल में जो राजनीति की है. उसके बारे में एक बड़ी प्रसिद्ध कहावत थी. ये श्रीनगर में एक बयान देते हैं, जबकि जम्मू में दूसरा और दिल्ली पहुंचकर तीसरा बयान देते थे. तीन-तीन बयान देकर जम्मू-कश्मीर के लोगों को ठगते भी रहे और अपनी राजनीति को भी आगे बढ़ाते रहे. पहले घाटी में दो-दो दिन के बाद अखबार आया करता था. लोगों को इस बात की भी जानकारी नहीं थी. मुझे लगता है कि समय आने पर ये सब बेनकाब होंगे. उस समय जो वरिष्ठ लोग थे जिन्होंने संविधान में आर्टिकल 370 को शामिल किया था, जवाहर लाल नेहरू ने स्वीकारा भी था. संविधान में लिखा भी गया कि यह अस्थायी व्यवस्था है, इन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया. ये बात अलग है कि यही लोग 370 को हटाने का साहस नहीं जुटा पाए, फिर पीएम मोदी ने इनका अधूरा काम पूरा करके दिखा दिया. आज ये लोग फंस गए हैं, जम्मू-कश्मीर में ये 370 को हटाने के पक्ष में हैं, जब ये पीर पंजाल का सुरंग पार करके कश्मीर घाटी जाते हैं तो फिर ये 370 को रखने के पक्ष में है. ये लोग अब खामोश हैं और मुझे लगता है कि इनको जनता को जवाब देना पड़ेगा.

सवाल: कांग्रेस का कहना है कि आपके विधानसभा में आने वाली सीटों पर जीत हासिल करेगी?

जवाब : सच्चाई यह है कि भाजपा ने पीएम मोदी के नेतृत्व में एक अलग तरह की राजनीतिक संस्कृति स्थापित करने का काम किया है. कल हमारी सभा डोडा क्षेत्र में थी. जहां पर हिंदू, मुसलमान एक साथ रहे हैं. आतंकवाद के दौर में भी उस वक्त दंगा फसाद नहीं हुआ. वहां पर जाकर भी कांग्रेस ने मजहब, धर्म के नाम पर समाज को बांटकर वोट बटोरने की कोशिश की है. और यह करते भी रहे और कामयाब भी रहे. हालांकि उस इलाके का कोई भी भला नहीं हुआ. पीएम मोदी ने उससे ऊपर उठकर जात-पात और धर्म की देखरेख की और ऐसी नीति अपनाई जिसकी जितनी आवश्यकता है उस तक उतनी पहुंचे. उदाहरण के तौर पर पीएम आवास योजना, मोहल्ले के कच्चे मकान पक्के मकान में तब्दील हो गए. जिन्होंने शायद गुजरे जमाने में भाजपा को वोट भी नहीं दिया हो. अब उनकी अंर्तआत्मा और जमीर उनसे कह रही है कि आप पुनर्विचार करो. ये नहीं पूछा कि घर हिंदू का है या मुसलमान, ब्राह्मण, ठाकुर का है. जिलाधिकारी के पास सूची थी. जिसकी आवश्यकता थी वो बनी. ये बात अब आम इंसान को समझ में आने लगी है. उसे लगता है कि उनके बच्चों का भविष्य अगर सुरक्षित है तो वह मोदी सरकार में सुरक्षित है, जहां मुझे भेदभाव नहीं मिलेगा. जो हक मेरा है वो मुझे मिलेगा.

सवाल : राहुल गांधी पहले कहते थे कि घाटी में हालात ठीक नहीं है, वहीं हाल ही में श्रीनगर के फेमस रेस्टोरेंट में डिनर किया, लाल चौक पर आइसक्रीम का लुत्फ उठाया? इस पर क्या कहेंगे?

जवाब : मैंने कहा था कि पीएम मोदी ने उस तरह के हालात पैदा किए है कि राहुल गांधी जब चाहें लाल चौक पर जाकर आइसक्रीम खाएं. बिना सूचना के शाम को कबाब खाने जाते हैं. ये वातावरण पीएम मोदी ने स्थापित किया है. जब इनका शासन प्रदेश में और केंद्र में भी था तब यह थ्री लेयर सिक्योरिटी गार्ड के अंदर रहते थे. अपने कमरों से बाहर निकलने का साहस नहीं करते थे और न उस तरह का वातावरण था. इन्हें पीएम मोदी का शुक्रिया अदा करना चाहिए. उन्होंने इनको खुली हवा में सांस लेने का अवसर दिया है.

सवाल :जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस भाजपा पर जमकर निशाना साध रही है?

जवाब : कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास कोई मुद्दा नहीं है और मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. जहां तक आतंक का ताल्लुक है, आंकड़े ये प्रमाणित करते हैं कि पत्थरबाजी जीरो प्रतिशत यानी समाप्त हो गई. 2-2.5 करोड़ पर्यटक कश्मीर आते हैं जो कि सबसे बड़ा प्रमाण है. जो लोग अपने परिवार के साथ यहां छुट्टियां मनाने के लिए कभी आते हैं तो वो मीडिया के कहने पर नहीं आएंगे, सरकार के आश्वासन पर नहीं आएंगे या फिर भाजपा प्रवक्ताओं के कहने पर भी नहीं आएंगे. वो अपने सूत्रों में से किसी को फोन लगाएंगे, या फिर अपने दोस्त, दफ्तर में काम करने वाला कर्मचारी से पूछेंगे कि हमारा छुट्टियों का कार्यक्रम बन रहा है तो हमें कश्मीर आना चाहिए या नहीं. जब वो पूरी तरह से आश्वस्त हो जाएंगे तभी कश्मीर आएंगे. हमें लगता है कि हमारे लिए वही सबसे बड़ा प्रमाण है.

सवाल : जम्मू-कश्मीर में एनसी 51 और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और दावा कर रही है वहां पर हमारे गठबंधन की सरकार बनने जा रही है, चाहे भाजपा कितने भी दावे कर ले?

जवाब : ऐसा है कि हर राजनीति दल अपनी समझ, परिस्थिति और वोट बैंक के जनाधार के अनुकूल रणनीति बनाने का प्रयास करती है. टिकटों का वितरण भी उसी प्रकार से होता है. लेकिन भाजपा ऐसी पार्टी है जो टिकट वितरण में भी लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करती है. जिस प्रकार से बाहर लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करती है, वैसे हीं अंदर भी. यहां एक पार्लियामेंट्री बोर्ड है, अलग-अलग संगठन और विंग से लेकर सबकी राय ली जाती है, आखिरकार केंडिडेट दिया जाता है, जबकि वहां पर भाई भतीजावाद है. पहले बाप फिर दादा, वहां पहले से तय है किसको टिकट देना है. मुझे लगता है कि भाजपा की प्रणाली और उसके काम करने की शैली के साथ तुलना करने की जरूरत नहीं है.

सवाल: कांग्रेस और एनसी कह रही है कि जितेंद्र सिंह कहते हैं कि हमारी पार्टी में परिवारवाद नहीं है पर आपके ही भाई को टिकट दिया गया है? इस पर क्या कहेंगे?

जवाब : किसी को भी टिकट देने में जितेंद्र सिंह का हाथ नहीं है, ये कांग्रेस पार्टी नहीं है जहां रसोईघर पर या डाइनिंग टेबल पर मां-बेटे मिलकर फैसला लेते हैं किसको टिकट देना है या नहीं? यहां नाम चलते हैं मंडलों से उठकर जिलों तक, जिले से उठकर प्रदेश तक, प्रदेश से उठकर के केंद्रीय समिति तक, केंद्रीय समिति से उठकर के पॉर्लियामेंट्री बोर्ड तक और हर चरण में विस्तृत चर्चा होती है. अलग-अलग विंग से उनकी जानकारी ली जाती है. ये कह देना की किसी के कहने पर टिकट मिलता है तो शायद ये वो लोग कहते हैं जिनको नहीं पाता है कि भाजपा के काम करने का तरीका क्या है.

सवाल : क्या आपको पीडीपी के साथ अलायंस का कोई अफसोस है. क्या इसे एक गलती मानते हैं?

जवाब : स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक ही ऐसा उदाहरण है कि जब किसी राजनीतिक दल ने समय से पहले स्वयं को सत्ता से बाहर निकालने का फैसला किया हो. हमारी कोई मजबूरी नहीं थी, हमारे खिलाफ ना तो नो कॉन्फिडेंस मोशन था, हमारे पास बहुमत थी. हम अपनी अवधि तक सरकार चला सकते थे. लेकिन जब हमें लगा कि कुछ एक सैद्धांतिक मुद्दों पर अब समन्वय उस प्रकार से नहीं हो रहा है जिसकी अपेक्षा हमने की थी. या जिसकी अपेक्षा हमारे समर्थक कर रहे थे. तो हमने एक बड़ा साहसिक फैसला करके सरकार से बाहर आने का निर्णय किया.

सवाल : राम माधव की जम्मू कश्मीर में वापसी कितनी महत्वपूर्ण है. इससे पार्टी के चुनावी अभियान को कितनी मदद मिलेगी?

जवाब : ये फैसले संगठन में होते हैं, इस पर टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हूं. राम माधव हमारे वरिष्ठ नेता हैं, बुद्धिमान हैं, जम्मू-कश्मीर को समझते है. यदि हमारे शीर्ष नेतृत्व ने कोई निर्णय लिया है तो निश्चय ही प्रदेश हित में लिया है.

सवाल : प्रधानमंत्री जनधन योजना के 10 साल पूरे होने पर क्या कहेंगे?

जवाब : 53 करोड़ से अधिक खाते खुले हैं, मैं तो यह कहूंगा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में उनका यह फैसला एक टर्निंग प्वाइंट रहा, गेमचेंजर रहा. पीएम मोदी ने अपने शुरुआती कार्यकाल के दौरान ही यह फैसला लिया था कि हर परिवार, हर व्यक्ति का बैंक खाता हो. पीएम मोदी का यह फैसला एक बहुत बड़ा सामाजिक रिफॉर्म भी रहा.

देश में बहुत सारे लोग ऐसे थे कि वह बैंक अकाउंट खोलना जरूरी ही नहीं समझते थे. वहां के लोगों को यह अहसास कराया गया कि बैंक खाते की क्या अहमियत थी. पीएम मोदी दूर दृष्टि से सोचते थे कि आने वाले समय में ऑनलाइन लेनदेन होगी तो इसका क्या महत्व रहेगा और उसका प्रमाण आपने कोरोना काल में देखा. पीएम मोदी को नहीं पता था कि 2020 में कोरोना आएगा, लेकिन उनकी सोच दूर तक थी. पीएम मोदी और बाकी नेताओं की सोच में यही फर्क है.

इसका फायदा ऐसे हुआ कि गरीबों को मिलने वाली किस्तों से लेकर किसानों को जारी होने वाली किस्तों में एक दिन भी देर नहीं हुई. यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि बैंक अकाउंट के माध्यम से कैशलेस लेनदेन होता रहा. अब मैं यह समझता हूं कि यह न केवल एक बहुत बड़ा फाइनेंशियल रिफॉर्म है जिसने भारत को उसी भौगोलिक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया जैसे बाकी देश हैं बल्कि यह हमारी सोच और मानसिकता में भी बदलाव लाने वाला है. और यह सिर्फ पीएम मोदी की सोच और विजन का नतीजा है. जिस देश में अधिकांश लोग बैंक के दर्शन तक नहीं करते थे, वह अब हर घर बैंक खाता है. काफी लोग ऐसे थे जिन्हें कोई मतलब ही नहीं होता था कि बैंक होता क्या है.

बैंक अकाउंट खोलना, डीबीटी ट्रांसफर ऐसी प्रक्रिया है जो पीएम मोदी के कार्यकाल की है और बाकी देश के लिए रोल मॉडल है.

एसके/जीकेटी