मानसून सत्र : राज्यसभा में रक्षा मंत्री का बयान, ‘हम जानते हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कौन सा देश क्या कर रहा था?’

New Delhi, 29 जुलाई . ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राज्यसभा में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ही नहीं, भारत की तरफ टेढ़ी निगाह से देखने वाले हर देश को यह समझ लेना चाहिए कि आज भारत की सेनाओं में हर हालात से निपटने की ताकत और कूबत है. हम जानते हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कौन सा देश क्या कर रहा था. हमने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से पाकिस्तान को शह देने वाली ताकतों को भी संदेश दे दिया है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक जिद्दी बच्चे की तरह मानता ही नहीं है. इसलिए पूरी दुनिया के लिए यह जरूरी है कि पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर हर तरह का रणनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बनाया जाए. पाकिस्तान वही देश है, जहां हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे घोषित आतंकवादी खुलेआम घूमते हैं और जहर उगलते हैं. जहां आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तान आर्मी के बड़े अफसर फातिहा पढ़ते नजर आते हैं. अब उसी पाकिस्तान से उम्मीद की जा रही है कि वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समुदाय का नेतृत्व करेगा, यह किसी क्रूर मजाक से कम नहीं है. यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का उपहास है.

रक्षा मंत्री ने कहा, “सबसे ताजा उदाहरण है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तान को काउंटर टेररिज्म पैनल का उपाध्यक्ष बनाया जाना. हैरानी की बात यह है कि यह काउंटर-टेररिज्म पैनल 9/11 हमले के बाद गठित किया गया था. हम सब जानते हैं कि 9/11 का हमला किसने किया था. यह भी किसी से छुपा नहीं है कि उस हमले के मास्टरमाइंड को पाकिस्तान ने शरण दी थी. यह तो एक तरह से बिल्ली से दूध की रखवाली करवाने की बात हुई. यह निर्णय न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर यूएन जैसी संस्था की गंभीरता को दर्शाता है. यह कैसे भुलाया जा सकता है कि यह वही पाकिस्तान है, जिसकी जमीन का इस्तेमाल वैश्विक आतंकवादी संगठनों की पनाहगाह के रूप में होता रहा है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को फंडिंग और शरण देने वाले देशों को भी आज दुनिया के सामने बेनकाब करना जरूरी है. पाकिस्तान को जो पैसा या आर्थिक सहायता मिलती है, उसका बड़ा हिस्सा आतंकवाद के कारखाने में खर्च किया जाता है. यह बात पूरी दुनिया के सामने आ रही है. पाकिस्तान को फंडिंग का मतलब है, आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को फंडिंग. मुझे लगता है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस विदेशी फंडिंग को बंद करना होगा. पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी है. उसको खाद-पानी नहीं मिलनी चाहिए. पाकिस्तान हर बार आतंकवाद को सही ठहराने की कोशिश में लगा रहता है. इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, हम सिर्फ आतंकवादियों को ही नहीं, बल्कि उन्हें मदद करने वाले पूरे टेरर इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी खत्म करें. इसलिए ही हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आज भी जारी है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा आतंकवादियों को पनाह दी है, अपनी जमीन पर उन्हें ट्रेनिंग और कई तरह की मदद दी है. पहलगाम तो सिर्फ एक उदाहरण है, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के गुनाहों की लिस्ट बहुत लंबी है. हमने हमेशा देखा है कि पाकिस्तान जैसे देश लगातार आतंकवाद को समर्थन देते आए हैं. यह कितना विरोधाभास है कि भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही समय आजाद हुए, लेकिन आज भारत को पूरी दुनिया में जहां मदर ऑफ डेमोक्रेसी की पहचान मिली है, वहीं पाकिस्तान फादर ऑफ ग्लोबल टेररिज्म बनकर उभरा है. हमारी सरकार ने आतंकवाद से निपटने के साथ-साथ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नई सोच के साथ नई रणनीति अपनाई है.

उन्होंने कहा कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसके सबसे मजबूत स्तंभों में एक है हमारा रक्षा क्षेत्र. जब कोई राष्ट्र अपने सुरक्षा उपकरण, अपने हथियार, अपने लड़ाकू विमान और मिसाइलें खुद बनाना शुरू कर दे, तो वह न केवल खुद पर विश्वास करना सीखता है, बल्कि दुनिया को भी यह संदेश देता है कि अब हम आत्मनिर्भर हैं, सक्षम हैं और किसी के मोहताज नहीं हैं. भारत आज सिर्फ सीमाओं की रक्षा नहीं कर रहा, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था खड़ी कर रहा है, जो हमें सामरिक, आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से मजबूत बना रही है. पहले हम रक्षा उपकरणों के लिए पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर थे, लेकिन आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि भारत डिफेंस के मामले में बड़ी तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है. आज भारत की सेनाओं के पास केवल इंपोर्टेड हथियार नहीं, बल्कि इसी देश में बने मिसाइलें, टैंक, और अन्य सिस्टम्स एवं प्लेटफॉर्म्स भी हैं. हमारी अग्नि, पृथ्वी, ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें आज दुश्मन को जवाब देने के लिए तैयार खड़ी हैं और ये सब भारत में बनी हैं. अब हमारे देश में आईएनएस विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की भी ताकत है.

रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं इस सदन को और देश की जनता को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी सरकार, हमारी सेनाएं और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं, सब मिलकर देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं. करीब सौ देशों को हमारे देश में बने डिफेंस प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं. हमारा यह लक्ष्य है कि इस साल हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट तीस हजार करोड़ रुपए और साल 2029 तक पचास हजार करोड़ रुपए पहुंच जाए. मुझे पूरा विश्वास है, हम यह लक्ष्य अवश्य प्राप्त करेंगे.”

जीसीबी/एबीएम