हमारी वैदिक परंपरा जैसी उदार परंपरा हमने तो नहीं देखी : मोरारी बापू (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 24 जुलाई . आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू ने बुधवार को से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपनी डॉक्यूमेंट्री ’12 ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा’, कांवड़ यात्रा के दौरान जारी नेमप्लेट आदेश पर विवाद और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हिंदू हिंसक वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी.

सवाल: आपने बहुत सारी यात्राएं की हैं, इस बारह ज्योतिर्लिंग की यात्रा में कोई ऐसा अनुभव जो पहले कभी ना हुआ हो?

जवाब: उन्होंने कहा कि मेरी पूरी जीवन की इस अध्यात्म यात्रा में हर स्थान में, हर कथा में मैंने कुछ ना कुछ नया महसूस किया है. 900वीं कथा आई तो मैंने ये कथा किसी को नहीं दी. मेरे मन में यह बात बैठती नहीं थी कि मैं 900 वीं कथा कहां करूं. लेकिन, जब द्वादश ज्योतिर्लिंग की बात आई. मुझे स्वाभाविक स्पार्क हुआ कि शायद शिवजी की इच्छा है कि 900 वीं कथा ज्योतिर्लिंग के लिए ही बाकी रही है. मैं उसमें बुद्धि से सोच नहीं पाता हूं कि यह कथा मैंने क्यों रोक रखी है, कैसे ये योग आया. कुछ घटना ऐसी होती है जो हमारे लौकिक दृष्टिकोण अथवा लौकिक साधनों से मापी नहीं जा सकती है. द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा मेरी दृष्टि में लौकिक ही नहीं थी. मुझे ऐसा अनुभव हुआ है ये मेरा व्यक्तिगत एहसास है, हमारे साथ चलने वाले यात्री कथा के श्रोता थे और अगल-बगल के लोग भी आ जाते थे. लेकिन जहां-जहां हम गए वहां की ज्योतिर्लिंग ने हमें विशेष प्रकाश दिया है अथवा खुली आंखों से या बंद आंखों से ये प्रकाश हमने महसूस किया है, ये मेरे लिए विशेष बात थी. बाकी हर कथा में कुछ ना कुछ घटनाएं घटती है. एक आलौकिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भारत को जोड़ने की यात्रा थी सामाजिक और राजकीय दृष्टि से लोग हिंदुस्तान को जोड़ने की यात्रा अपने-अपने ढ़ंग से करते हैं.

प्रश्न: आपने जो पुस्तकें लिखी हैे और जो डॉक्यूमेंट्री बनवाई है, उसके माध्यम से क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर: उन्होंने अपनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर कहा कि मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि डॉक्यूमेंट्री इतनी सुंदर होगी. मैंने कहा था कि डॉक्यूमेंट्री और यह पुस्तक यह दोनों मेरी दृष्टि में बहुत रिच हैं. अभी तो इंग्लिश और हिंदी में उपलब्ध है लेकिन मांग है कि उसका कि हिंदीकरण किया जाए, गुजराती में भी हो और भविष्य में अन्य भाषा में भी हो. डॉक्यूमेंट्री को लाइव टेलीकास्ट के जरिए दुनिया ने तो देखा है, अब विशेष रूप में डॉक्यूमेंट्री से सब ज्यादा आत्मसात कर पाएंगे. लेकिन, यही चीजें किताब के रूप में लोगों को पास जाएगी तो बहुत असर करेगी, क्योंकि यह पुस्तक नहीं है, कइयों का मस्तक है. कई लोगों के विचार, अनुभव जो उसके मस्तिष्क में तो यह ऐसा ग्रंथ तैयार हुआ नहीं.

प्रश्न: आपने बताया कि कई लोगों का यह अनुभव है, तो किसी एक ऐसे व्यक्ति का अनुभव जिससे आप प्रभावित हुए हो?

उत्तर: मैं लोगों की श्रद्धा, अनुभव और समर्पण को देखकर साधुवाद देता हूं कि लोग किस-किस तरह से सोचते हैं, सबके अपने-अपने व्यक्तिगत अनुभव हैं. इस पर तो ज्यादा प्रकाश वह लोग ही डाल पाएंगे. जो इंटरव्यू रिकॉर्ड किया गया उसमें तो बहुत कम बोल पाए हैं, समय की सीमा थी. लेकिन, हजारों लोगों ने यह कथा सुनी है उसके भी अभिप्राय यदि लिए जाएं तो क्या? इसका मैं क्या चाहता हूं? कोई अहोभाव, ज्यादा व्यक्त नहीं करें, इस घटना का मूल्यांकन होना चाहिए. यह भी मूल्यांकन हो, कोई घटना घटे तो उसका मूल्यांकन हो तो वह मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा.

प्रश्न: कांवड़ यात्रा मार्ग पर आने वाली दुकानों के मालिकों को अपना नाम बोर्ड लगाना पड़ेगा ऐसे आदेश दिए गए थे, इसके बारे में आपका क्या कहना है?

उत्तर: उन्होंने कहा कि ये यात्रा लोगों की श्रद्धा की यात्रा है, यहां कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. मैंने कांवड़ यात्रा हर प्रांत में देखी है, ज्योर्तिलिंग के समय भी हम जा रहे थे, कांवड़ यात्रा निकली थी, मैंने भी इसमें भाग लिया था. राजनीति और राजकीय क्षेत्र मेरा क्षेत्र नहीं है. लेकिन ये श्रद्धा की यात्रा है इसको विवाद का मुद्दा नहीं बनाए जाए और लोग इतने भाव से महादेव का अभिषेक करने के लिए कितनी श्रद्धा से बम भोले-बम भोले के जयकारे लगाते हुए जा रहे होते हैं. हर चीज को देश में राजनीति मुद्दा नहीं बनाना चाहिए, बल्कि श्रद्धा को आगे बढ़ाना चाहिए. सही-गलत का कोई प्रश्न नहीं है मेरी दृष्टि में, क्योंकि यह क्षेत्र मेरा नहीं है. कोई विवाद में जाना नहीं और जिसमें पक्की श्रद्धा है वह जान ही लेगा की मुझे किस तरह आगे बढ़ाना चाहिए. कृपया कोई इसको राजनीतिक मुद्दा ना बनाएं.

प्रश्न: विपक्ष के नेताओं ने यह कहा था हिंदू हिंसक होते हैं, इसपर आपका क्या कहना है?

उत्तर: वेदकाल से लेकर आज तक पूरा इतिहास गवाह है कि हिंदू और हिंदुत्व जैसे उदार मन कोई नहीं है. हमें कोई और उपासना पद्धति का नाम नहीं लेना है. लेकिन, व्यावहारिक देखिए ज्यादा से ज्याद किस विचारधारा में ज्यादा हत्या हुई दुनिया में. हिंदुत्व तो आकाश जैसा उदार है. मगर सब अपने-अपने विचार पेश करते हैं. लेकिन, हिंदू जैसा उदार कोई नहीं है, सनातन धर्म जैसा कोई उदार नहीं है. इसका मतलब कोई निम्न है ऐसा नहीं है. इस उदारता के कारण भारत अभी टिका है. वरना भारत पर शताब्दियों से हमले होते रहे हैं. शताब्दियों तक धर्मावलंबियों ने शासन किया है, फिर भी हम टिके हैं, फिर भी हम सलामत हैं. हम चींटी को कण-कण देते हैं, कबूतर को दाना देते हैं, वो कैसे हिंसक हो सकता है. अपवाद कोई हो वह अलग बात है लेकिन, समग्र सनातन, हिंदू और हिंदुत्व को किसी रूप में किसने कैसे कहा मुझे नहीं पता है. मैं सनातन धर्म के संतान के रूप में कह सकता हूं कि हमारी वैदिक परंपरा जैसी उदार परंपरा हमने तो नहीं देखी.

एसके/