नई दिल्ली, 23 अप्रैल . एआई आधारित सामग्री भारत सहित वैश्विक चुनावों के दौरान एक प्रमुख चिंता बन गई है. रेलवे और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि एआई पर एक मजबूत ढांचा तैयार किया जा रहा है, जो इससे निपट सके. नई सरकार बनते ही इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए रूपरेखा पर सार्वजनिक विचार-विमर्श शुरू हो जाएगा.
केंद्रीय मंत्री ने से बात करते हुए कहा कि एआई के दुरुपयोग और इसे कैसे रोका जाए, इस पर हाल के महीनों में आईटी उद्योग के साथ सार्थक बातचीत हुई है.
अश्विनी वैष्णव ने बताया, “हमें जनता की भलाई के लिए एआई का उपयोग करना होगा और साथ ही इसके दुरुपयोग को भी रोकना होगा. हमें इसका सही समाधान ढूंढना होगा. जून में नई सरकार बनने के बाद, हम एआई ढांचे पर सार्वजनिक परामर्श शुरू करेंगे.”
नई तकनीक से जुड़े डीपफेक और उपयोगकर्ता के नुकसान में वृद्धि पर चिंताओं के बीच सरकार ने एआई के लिए एक मसौदा तैयार करने पर काम किया.
इसका उद्देश्य आर्थिक विकास के लिए एआई का उपयोग करना और इससे संभावित जोखिमों और नुकसानों का समाधान करना है.
भारत में इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म और सोशल मीडिया बिचौलियों का यह सुनिश्चित करने का कानूनी दायित्व है कि उनके संबंधित प्लेटफ़ॉर्म पर किसी भी गलत सूचना या डीपफेक को जगह न मिले. सरकार नियमित रूप से आईटी नियम, 2021 और आईटी मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का बिचौलियों के द्वारा अनुपालन किया जा रहा है या नहीं इसकी निगरानी कर रही है.
आईटी मंत्रालय की ई-सलाह विशेष रूप से एआई से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को पूरी जवाबदेही लेनी होगी और यह कहकर बच नहीं सकते कि ये एआई मॉडल “अंडर-टेस्टिंग फेस” में है.
अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हमने एक मजबूत एआई ढांचा बनाया है और जल्द ही इसे सार्वजनिक करेंगे.”
पिछले महीने के अंत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के साथ बातचीत में भी हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में डीपफेक के बारे में चिंता व्यक्त की थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने बिल गेट्स से कहा था, “लोगों को धोखा देने के लिए मेरी आवाज का दुरुपयोग भी किया जा सकता है और इस तरह के डीपफेक से बड़े पैमाने पर हंगामा हो सकता है. हमें डीपफेक पर क्या करें और क्या न करें के बारे में ज्यादा विचार करने की जरूरत है.”
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जीकेटी/