नई दिल्ली, 4 फरवरी . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए ओबीसी व दूसरे मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी को घेरा.
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों के लिए जाति की बात करना फैशन हो गया है. पिछले 30 साल से सदन में आने वाले ओबीसी समाज के सांसद एक होकर मांग कर रहे थे कि ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया जाए. हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया. पिछड़ा वर्ग आयोग आज संवैधानिक व्यवस्था बन गया. हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया है कि एससी, एसटी और ओबीसी को हर क्षेत्र में अधिकतम अवसर मिले.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी देश में एनडीए की सरकार रही, हमने लंबे विजन के साथ काम किया है. पता नहीं देश बांटने के लिए कैसी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है. जब सत्ता सेवा बन जाए तो राष्ट्र निर्माण होता है. जब सत्ता को विरासत बना दिया जाए, तब लोकतंत्र खत्म हो जाता है. हम जहर की राजनीति नहीं करते हैं. हम देश की एकता को सर्वोपरि रखते हैं और इसलिए सरदार पटेल का दुनिया का सबसे बड़ा स्टैच्यू बनाते हैं. उनका स्मरण करते हैं. वो जनसंघ के नहीं थे.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि संविधान में जो धाराएं हैं, उसके साथ-साथ संविधान की एक आत्मा भी है. संविधान को मजबूती देने के लिए उसकी भावना को जीना पड़ता है. इसे मैं आज उदाहरण के साथ बताऊंगा. हमारे यहां परंपरा है कि राष्ट्रपति के संबोधन पर सरकार का ब्यौरा होता है. ऐसे ही गवर्नर राज्य के काम का ब्यौरा देते हैं. जब मैं सीएम था, गुजरात के गठन के 50 साल हुए थे. हमने एक निर्णय किया कि इस गोल्डन जुबली ईयर में जितने भी गवर्नर के भाषण हुए, सबको एक पुस्तक के रूप में तैयार किया जाए. आज सभी लाइब्रेरी में वो ग्रंथ है. मैं तो भाजपा वाला था, गुजरात में ज्यादातर कांग्रेस की सरकारें थीं, उसे भी प्रसिद्ध कराने का काम भाजपा का मुख्यमंत्री कर रहा था. हम संविधान को समर्पित हैं, उसे जीना जानते हैं, उसकी आत्मा को समझते हैं.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमने पीएम म्यूजियम बनाया और देश के पहले पीएम से लेकर मेरे पूर्व तक के सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन को और उनके कार्यों को बताया गया है. ये होती है संविधान की भावना. हम संविधान को सर्वोपरि रखते हैं, जहर की राजनीति नहीं करते हैं. हम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते हैं. ये देश का दुर्भाग्य है कि आज कल कुछ लोग अर्बन नक्सल की भाषा खुलेआम बोल रहे हैं. ये अर्बन नक्सल की भाषा बोलने वाले न संविधान को समझ सकते हैं और न देश की एकता को समझ सकते हैं. सात दशक तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को संविधान के अधिकारों से वंचित रखा गया. ये अन्याय है. हमने आर्टिकल 370 की दीवार गिरा दी.
संविधान भेदभाव का अधिकार नहीं देता. जो संविधान को जेब में लेकर घूमते हैं, उन्होंने मुस्लिम बेटियों को कैसी स्थिति में जीने को मजबूर कर दिया था. हमने उन बेटियों को समानता का अधिकार दिया. जब भी देश में एनडीए की सरकार रही, हमने लंबे विजन के साथ काम किया है. पता नहीं देश को बांटने के लिए कैसी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन हमारी सोच इनसे अलग है.
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एकेएस/