बांग्लादेश में हिंदुओं की जिम्मेदारी भारत की, इस कर्तव्य से हम बच नहीं सकते : आरएसएस

बेंगलुरु, 22 मार्च . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की जिम्मेदारी भारत की है और “हम इस कर्तव्य से बच नहीं सकते.”

बेंगलुरु में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने यह बयान दिया.

इस सवाल के जवाब में कि क्या सताए गए हिंदुओं को भारत द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए, अरुण कुमार ने एक स्पष्ट बयान दिया कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय हमारी जिम्मेदारी है. हम इससे बच नहीं सकते. जिस भारत को हम गर्व से अपना देश कहते हैं, उसे बांग्लादेश के हिंदुओं ने उतना ही आकार दिया है जितना कि भारत के हिंदुओं ने.

उन्होंने आगे कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं को शांति और खुशी से रहना चाहिए. उन्हें अपने देश में योगदान देना चाहिए, लेकिन अगर भविष्य में कोई मुश्किल स्थिति आती है, तो हम पीछे नहीं हट सकते. अगर ऐसी स्थिति आती है, तो हम उसका समाधान करेंगे.”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और बांग्लादेश का इतिहास और सभ्यता एक जैसी है.

उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 1947 में विभाजन हुआ. हमने आबादी नहीं, बल्कि जमीन का बंटवारा किया. दोनों देशों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सहमति जताई थी. नेहरू-लियाकत समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए… यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बांग्लादेश ने इसका सम्मान नहीं किया. हमारी इच्छा है कि वे जहां भी रहें, सम्मान, सुरक्षा और धार्मिक पहचान के साथ रहें. हमें इसे हासिल करने के लिए प्रयास करने चाहिए.”

बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “इसे राजनीतिक मुद्दे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. शासन बदल गया है, लेकिन हिंसा का कारण सिर्फ़ यही नहीं है. इसका एक धार्मिक पहलू भी है. प्राथमिक और निरंतर लक्ष्य हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक हैं. हिंदुओं और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है.”

“यह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लिए अस्तित्व का संकट है. हाल की हिंसा से पता चला है कि बांग्लादेशी सरकार और उसके संस्थान हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ हमलों में शामिल हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है.”

उन्होंने आगे कहा, “इस हिंसा के लिए जिम्मेदार लोग इसे न केवल हिंदू विरोधी बल्कि भारत विरोधी भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस संबंध में कई नेताओं ने बयान दिए हैं. हम अपने पड़ोसी देशों के साथ हजारों सालों से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं. भारत और उसके पड़ोसियों के बीच अविश्वास और कलह पैदा करने की कोशिश की जा रही है.”

उन्होंने यह भी दावा किया कि “इसके पीछे कई अंतरराष्ट्रीय ताकतें हैं. हमने पाकिस्तान और अमेरिकी डीप स्टेट की भूमिका पर चर्चा की है. बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के साथ एकजुटता से खड़े होने का आह्वान किया गया है.”

जब उनसे पूछा गया कि क्या आरएसएस बांग्लादेश की स्थिति पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया से संतुष्ट है, तो उन्होंने कहा, “यह एक सतत प्रक्रिया है, मुद्दा पूरी तरह से हल नहीं हुआ है. सरकार अपना काम कर रही है, और हमने उससे हर संभव कार्रवाई करने का आग्रह किया है. हम संतुष्ट हैं कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझा है, विदेश मंत्री को विभिन्न स्थानों पर भेजा है, व्यक्तिगत चर्चा की है और अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग किया है.”

उन्होंने कहा कि हमने अपने प्रस्ताव में इस चिंता का उल्लेख किया है. जब तक सामान्य स्थिति पूरी तरह से बहाल नहीं हो जाती, तब तक प्रयास जारी रहने चाहिए.

जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत को पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए, तो अरुण कुमार ने कहा, “शेख हसीना को बहाल करने का फैसला बांग्लादेश के लोग करेंगे. उनका अपना संविधान और व्यवस्था है. मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य देश को इस मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है.”

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