ग्रेटर नोएडा, 29 मार्च . ग्रेटर नोएडा में पानी की किल्लत लगातार बढ़ती जा रही है. आए दिन पाइपलाइन फटने की घटनाओं से रेजिडेंट्स को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले एक सप्ताह में तीसरी बार पानी की मुख्य लाइन फटने से जलापूर्ति प्रभावित हो गई है, जिससे सेक्टरवासियों में गहरा रोष देखने को मिल रहा है. परेशान लोगों ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया.
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के सेक्टरों में जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से चरमराती नजर आ रही है. पानी की पाइप लाइन काफी पुरानी हो चुकी हैं, जिनकी मरम्मत के अभाव में बार-बार टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं.
जानकारी के अनुसार, करीब 30-32 साल पहले यानी 1994 के आसपास इन पाइपलाइनों को बिछाया गया था. अब पाइपलाइन पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं और जगह-जगह लीकेज हो रहा है.
ग्रेटर नोएडा के अल्फा 1 और अल्फा 2 गोलचक्कर समेत कई स्थानों पर पिछले एक हफ्ते में तीन बार पाइपलाइन फट चुकी है. इसका सीधा असर जलापूर्ति पर पड़ रहा है, इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रमज़ान और नवरात्रि के पावन अवसर पर पानी की किल्लत से लोगों में आक्रोश और बढ़ गया है.
क्षेत्रीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से समस्या के समाधान के बजाय केवल टैंकरों के जरिए जलापूर्ति की खानापूर्ति की जा रही है, जिससे लोगों की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है.
क्षेत्रवासियों का कहना है कि टैंकर की व्यवस्था अस्थायी है और यह सभी घरों तक पानी पहुंचाने में सक्षम नहीं है. एक ओर जहां ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 1 अप्रैल से पानी के बिलों की दरों में वृद्धि कर रहा है, वहीं दूसरी ओर लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक ठीक से नहीं मिल रही हैं. इसको लेकर सेक्टरवासियों ने नाराजगी जाहिर की और प्राधिकरण से मांग की कि नई पाइप लाइन बिछाई जाए ताकि लोगों को निर्बाध जल आपूर्ति मिल सके.
निवासियों ने बताया है कि मौके पर जल विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक गुरविंदर सिंह और ठेकेदार रामबीर सिंह मौजूद थे, जिन्होंने स्थिति का जायजा लिया. वहीं, सेक्टरवासियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और एसीईओ से निवेदन किया गया है कि जल्द से जल्द नई पाइप लाइन डलवाई जाए, ताकि पानी की आपूर्ति सुचारु रूप से जारी रह सके.
शहरवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे.
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पीकेटी/एबीएम