New Delhi, 29 सितंबर . स्वतंत्र India के निर्माण में जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने 562 रियासतों को एकीकृत करने का अभियान चलाया तो उनके सहयोगी के रूप में वीपी मेनन की भूमिका अमिट रही.
वप्पाला पंगुन्नी मेनन एक साधारण नौकरशाह थे, जिन्होंने असाधारण कूटनीति से India को विखंडन से बचाया. सरदार पटेल की दृढ़ता और मेनन की चतुराई ने मिलकर वह चमत्कार रचा, जिसका श्रेय आज भी सरदार पटेल को ही मिलता है, लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि बिना मेनन के यह एकीकरण असंभव था.
वीपी मेनन का जन्म 30 सितंबर 1893 को केरल के ओट्टापलम के एक छोटे से गांव पनमन्ना में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल के प्रधानाचार्य थे और मेनन अपने बारह भाई-बहनों में सबसे बड़े थे.
ब्रिटिश राज में वीपी मेनन ने ब्रिटिश राज के दौरान India Government के सचिव के रूप में काम शुरू किया और बाद में लॉर्ड माउंटबेटन के Political सलाहकार बने एवं राज्यों के मंत्रालय में सचिव के पद पर रहे, जहां उन्होंने सरदार पटेल के साथ मिलकर 500 से अधिक रियासतों को India में एकीकृत किया. विभाजन के समय जब कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच गतिरोध था, तब मेनन ने ही माउंटबेटन, नेहरू और पटेल को विभाजन का प्रस्ताव सुझाया. उन्होंने एक्सेशन इंस्ट्रूमेंट का मसौदा तैयार किया, जो रियासतों को India या Pakistan से जुड़ने का कानूनी आधार देता था.
1947 में आजादी के बाद सरदार पटेल को स्टेट्स मिनिस्ट्री का जिम्मा सौंपा गया. इस दौरान वीपी मेनन उनके सचिव बने. ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद रियासतें स्वतंत्र हो गईं, लेकिन अधिकांश राजा आजाद रहना चाहते थे. जूनागढ़, हैदराबाद जैसी रियासतें Pakistan की ओर झुकी थीं, लेकिन सरदार पटेल ने कठोर रुख अपनाया और वीपी मेनन ने कूटनीति का सहारा लिया. वे राजाओं के दरबारों में घूमे, उन्हें India से जुड़ने के लाभ बताए.
सबसे कठिन मामला जूनागढ़ का था. नवाब Pakistan जाना चाहता था, लेकिन हिंदू बहुल आबादी विरोध में थी. वीपी मेनन ने सरदार पटेल के निर्देश पर जनमत संग्रह करवाया, जिससे जूनागढ़ India में विलय हो गया.
हैदराबाद में निजाम ने सशस्त्र प्रतिरोध किया, लेकिन सरदार पटेल और वीवी मेनन के प्रयास से हैदराबाद का विलय हुआ. जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह ने तो एक्सेशन साइन करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद वीपी मेनन में उन्हें विलय के लिए तैयार किया.
जम्मू-कश्मीर में भी वीपी मेनन की भूमिका निर्णायक रही. महाराजा हरि सिंह विलय को लेकर स्पष्ट नहीं थे. 26 अक्टूबर 1947 को Pakistanी कबायलियों के हमले के बाद वीपी मेनन ने हरि सिंह से मुलाकात की. उन्होंने एक्सेशन साइन करवाया.
वीपी मेनन ने बाद में ‘द स्टोरी ऑफ द इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स’ पुस्तक में इन घटनाओं का वर्णन किया है. वीपी मेनन की सफलता का राज उनकी विनम्रता और समझ थी. वे राजाओं को धमकी न देकर, उनके हितों का ख्याल रखते हुए विलय का प्रस्ताव रखते थे. उनके प्रयासों से तमाम राजसी परिवारों ने अपने रियासतों का India में विलय किया. India का एकीकरण वीपी मेनन की कूटनीति का जीता-जागता प्रमाण है.
देश के एकीकरण के अहम योगदान देने वाले वीपी मेनन ने 31 दिसंबर 1965 को 72 साल की उम्र में Bengaluru में अपनी अंतिम सांस ली थी लेकिन उनकी विरासत और भी जीवंत है.
–
एकेएस/डीकेपी