![]()
New Delhi, 21 नवंबर . सामने तीन हजार Pakistanियों की फौज, लगभग 50 टैंक और कई किलोमीटर दूरी तक निशाना लगाने वाली मशीनगन, 1971 में रेगिस्तान की एक सर्द रात को Rajasthan की लोंगेवाला पोस्ट दुश्मनों से घिरी हुई थी. लड़कर मरना मुश्किल काम नहीं, लेकिन बाकियों को खुशी-खुशी अपने साथ खड़ा करना कि मेरे साथ लड़कर मरो, ये किसी के लिए भी संभव नहीं. लेकिन, ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने वह कर दिखाया, जिसने एक इतिहास लिखा.
22 नवंबर 1940 को जन्मे ‘बॉर्डर’ के असली हीरो कुलदीप सिंह चांदपुरी की कहानी का यह एक ऐसा अंश है, जो शायद हर किसी को न पता हो. जैसलमेर से सीधा आगे चला जाए तो Pakistan सरहद के पास लोंगेवाला पड़ता है, जिस पर 1971 में दुश्मन मुल्क ने कब्जा करने के लिए हमला कर दिया था.
उस समय हालात ऐसे थे कि सामने 50 के करीब Pakistanी टैंक खड़े थे. 3,000 के करीब Pakistanी सैनिक थे. आधी रात में Pakistanी फौज ने लोंगेवाला की घेराबंदी कर ली थी. उस समय कुलदीप सिंह चांदपुरी अपने लगभग 122 जवानों की टुकड़ी के साथ लड़ने को तैयार थे. वे 23वीं पंजाब रेजीमेंट के जवानों का नेतृत्व कर रहे थे.
लोंगेवाला युद्ध के ‘हीरो’ कुलदीप सिंह चांदपुरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सेना की दूसरी टुकड़ियां तकरीबन 17-18 किलोमीटर दूर थीं. हमारी पंजाबी सिख कंपनी थी, जिसमें सभी सिख जवान थे. जब हम घिर गए थे, तब हमें टास्क मिला था कि लोंगेवाला बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट है. इसको हर हाल में कब्जे में बनाए रखना है.
कुलदीप सिंह चांदपुरी ने उस इंटरव्यू में कहा था, “मौत से हर बंदा डरता है. बड़े-बड़े महारथी और योद्धा डरते हैं. मौत हमारे सामने भी नजर आ रही थी. क्योंकि जब 50 के करीब टैंक घेर लें और उन पर मशीन गन हों, उस स्थिति में बचना मुश्किल था.”
उन्होंने कहा था, “सामने हालात कठिन थे और सवाल यही था कि क्या मुझे पोस्ट छोड़कर चले जाना चाहिए, जिसकी इजाजत ना मेरा ईमान दे सकता था और न मुझे इस तरह का कोई टास्क मिला था कि Pakistanी फौज आए तो बोरे-बिस्तर लेकर भाग जाना.”
कुल मिलाकर तीन हजार Pakistanियों की फौज का सामना हिंदुस्तान के 122 बहादुरों को करना था. कुलदीप सिंह हालातों को देखकर ठान चुके थे कि वे ‘प्रिजनर ऑफ वॉर’ (युद्ध बंदी) नहीं बनेंगे.
उन्होंने बताया था, “मैंने अपने लिए कार्बाइन की मैगजीन भरकर रख ली थी. यही था कि मैं अपने आप को दुश्मनों के हवाले नहीं कर सकता था. मैंने सोच लिया था कि अगर दुश्मन ने हाथ लगाया और मुझे कैदी बनाया तो मैं पहले ही खुद को गोली मार लूंगा.”
इससे जवानों में जोश भर आया और वे Pakistanी फौज से टकराने को तैयार थे. उन्होंने बताया, “मैं तैयार था और जवान भी तैयार थे, लेकिन इन्हें मोटिवेट करना सबसे कठिन चुनौती थी. मैंने उनको हौसला दिया, उन्हें गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों की मिसालें दी थीं, और जवानों से कहा था कि अगर आज यहां से चले गए तो सिर्फ देश की फौज नहीं, रेजिमेंट नहीं, बल्कि पूरी सिख फौज पर कलंक लगेगा. हमने जवानों से कहा कि जब तक पोस्ट छोड़ने का आदेश नहीं मिलेगा, मैं यहां रहूंगा. मैं आखिरी दम तक लड़ूंगा.”
पूरी बटालियन के लिए मैसेज साफ था कि मैदान छोड़कर भागने वाले को वे खुद गोली मार देंगे. कुलदीप सिंह चांदपुरी ने बटालियन से यह भी कह दिया था कि अगर वे खुद मैदान से भागने की कोशिश करते हैं तो पूरी बटालियन गोलियों से उनके शरीर को छलनी कर दे.
आखिर में सब तैयार थे और मोर्चा संभाल लिया. लोंगेवाला की भीषण लड़ाई में Pakistanी फौज के हजारों जवानों के Rajasthan में घुसने के दुस्वप्नों को India के महज 122 जवानों के पराक्रम ने चकनाचूर कर दिया.
–
डीसीएच/एबीएम