रांची, 29 मार्च . झारखंड में आदिवासी सीटों के वोटर अपने मताधिकार को लेकर सामान्य सीटों के मतदाताओं की तुलना में ज्यादा जागरूक हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न इस फैक्ट की तस्दीक करता है.
आंकड़ों के अनुसार, एसटी (आदिवासी) के लिए आरक्षित पांच सीटों पर औसतन 70 फीसदी वोटरों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, जबकि सामान्य सीटों पर 65.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं.
निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से सबसे ज्यादा एसटी के लिए आरक्षित दुमका सीट पर 73 फीसदी और राजमहल सीट पर 72 फीसदी वोटरों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. एसटी के लिए आरक्षित तीन अन्य सीटों सिंहभूम में 69, खूंटी में 69 और लोहरदगा में 66 प्रतिशत वोट पड़े थे.
सामान्य सीटों में एकमात्र गोड्डा लोकसभा क्षेत्र ऐसा रहा है जहां 70 फीसदी वोट पड़े. बाकी आठ सीटों पर औसतन 65.5 फीसदी मतदान हुआ था. सबसे कम 60 फीसदी वोटिंग धनबाद सीट पर हुई थी. सामान्य श्रेणी की सीटों में कोडरमा, गिरिडीह और जमशेदपुर में 67 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. चतरा में 65 और रांची में 64 फीसदी लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एकमात्र पलामू सीट पर 64 फीसदी मतदान हुआ था. पूरे राज्य में सभी सीटों को मिलाकर कुल 67 प्रतिशत मतदान हुआ था. आयोग इस बार राज्य में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई नए प्रयोग कर रहा है. इस बार राज्य के 29 हजार 521 बूथों को खास थीम पर विकसित किया जा रहा है.
झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा, “इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य के सभी मतदान केंद्रों को मॉडल बूथ के रूप में स्थापित किया जाएगा. बिजली, पेयजल, सुरक्षा, स्वच्छता, पार्किंग, आवागमन समेत तमाम बुनियादी सुविधाएं हर केंद्र पर उपलब्ध होंगी. उद्देश्य यह है कि मतदान का दिन लोकतंत्र के महापर्व के रूप में मनाया जाए और मतदान के जरिए इसमें अधिकतम जनभागीदारी सुनिश्चित कराई जाए.
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एसएनसी/