बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ जारी, नेताओं ने कहा- ‘यह परिवर्तन की पुकार’

अररिया, 24 अगस्त . बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने जनता के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा किया है. इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मतदाताओं के अधिकारों के साथ ‘वोट चोरी’ जैसे गंभीर मुद्दों को उठा रहे हैं. इस यात्रा को लेकर भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जनता से मिल रही प्रतिक्रिया हमारी उम्मीदों से परे है. बिहार की जनता अब विकल्प चाहती है.

उन्होंने मौजूदा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “20 साल से सत्ता पर काबिज सरकार से जनता का भरोसा खत्म हो चुका है. ऐसा लगता है कि बिहार में कोई सरकार ही नहीं है. सरकार की अक्षमता और विश्वासघात ने जनता को गुस्से से भर दिया है. यह यात्रा जनता की नाराजगी को एकजुट करने का मंच बन रही है. महागठबंधन बिहार में एक विकल्प के तौर पर उभर रहा है.

कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस अभियान को आजादी की लड़ाई से जोड़ते हुए कहा, “बिहार की जनता मतदाताओं के अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर आई है. जैसे हमारे पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी, वैसे ही यह संघर्ष जनता के हक के लिए है. हम इस लड़ाई में जीत के लिए प्रतिबद्ध हैं. यह यात्रा बिहार में बदलाव की शुरुआत है.”

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा, “यह जनसैलाब बिहार की जागरूकता का प्रतीक है. राहुल गांधी लगातार जनता से संवाद कर रहे हैं. उन्होंने मखाना किसानों सहित समाज के हर वर्ग से मुलाकात की है. प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया के माध्यम से राहुल गांधी खुलकर जनता के सवालों का जवाब दे रहे हैं.”

उन्होंने वोटों की चोरी को बिहार का सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा, “जनता अब जाग चुकी है और बिहार से भाजपा का सफाया तय है.”

वहीं विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, “हम जनता के अधिकारों और वोटों की चोरी जैसे गंभीर मुद्दों के लिए लड़ रहे हैं. देश और राज्य में वोटों की चोरी से सरकारें बन रही हैं, जिसके खिलाफ हम जनता के साथ खड़े हैं.”

मुकेश सहनी ने आगे कहा कि अगले महीने आदर्श आचार संहिता लागू होने की उम्मीद है, जिसके साथ ही चुनावी माहौल और गर्माएगा. ‘वोटर अधिकार यात्रा’ बिहार में एक बड़े जनांदोलन का रूप ले रही है. यह यात्रा न केवल मतदाताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही है, बल्कि सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ जनता के असंतोष को भी उजागर कर रही है. आने वाले समय में यह अभियान बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का कारण बन सकता है.

एकेएस/एबीएम