New Delhi, 24 जून . पूर्व Prime Minister विश्वनाथ प्रताप सिंह की 25 जून को जयंती है. वीपी सिंह को सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है. Prime Minister के रूप में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करके न सिर्फ उन्होंने ओबीसी वर्ग को Political और सामाजिक ताकत दी थी, बल्कि देश की Political दिशा को भी बदला था.
वीपी सिंह का जन्म 25 जून 1931 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद(प्रयागराज) में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण की. वीपी सिंह न सिर्फ एक विद्वान नेता थे, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा. 1957 में उन्होंने भूदान आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई और इलाहाबाद जिले के पासना गांव में अपनी भूमि का दान कर समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई.
यहां से आगे उन्होंने कांग्रेस के साथ Political जीवन की शुरुआत की. 1969 से 1971 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे. 1971 में देश की संसद में पहुंचने का मौका मिला. यहां से आगे वीपी सिंह का Political सफर सामाजिक न्याय और ईमानदारी की मिसाल बना. 1980 तक सांसद और Union Minister के रूप में जिम्मेदारी संभालने के बाद लगभग दो साल के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश का Chief Minister बनने का मौका मिला.
इससे आगे उन्होंने कठिन फैसलों की राह पकड़ी. कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार और रक्षा सौदा दलाली तक कांग्रेस Government के घोटाले खुल रहे थे. उस समय वीपी सिंह ने अपनी Government के खिलाफ विद्रोह छेड़ा और मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया. उन्होंने कांग्रेस से भी दूरी बना ली. इस साफ-सुथरी और ईमानदार छवि ने भविष्य में वीपी सिंह को Prime Minister के पद तक पहुंचा दिया.
बोफोर्स घोटाला और एचडीडब्ल्यू पनडुब्बी सौदों में दलाली जैसे आरोपों का नुकसान कांग्रेस को 1989 के आम चुनाव में उठाना पड़ा. पार्टी को उस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. इधर, वीपी सिंह को कम्युनिस्टों और बीजेपी ने समर्थन दे दिया, जिससे वो देश के 8वें Prime Minister बने. अपने कार्यकाल में वीपी सिंह ने सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक फैसला लेकर पिछड़े और वंचित समाज को आरक्षण के दायरे में लाने का काम किया.
मंडल कमीशन की रिपोर्ट सालों से धूल फांक रही थी. उन्हें बाहर निकालकर वीपी सिंह की Government ने सदन के पटल पर रख दिया और इसे लागू भी कर दिया. इस फैसले से देश की लगभग आधी आबादी यानी ओबीसी वर्ग को Governmentी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हुआ. आज भी ओबीसी का बड़ा तबका उन्हें नायक के तौर पर देखता है.
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डीसीएच/जीकेटी