कठुआ, 30 अक्टूबर . राजकीय मेडिकल कॉलेज कठुआ में चतुर्थ श्रेणी में कार्यरत कर्मचारी विशाल कुमार ने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) की परीक्षा निकाल कर जिले का नाम रौशन किया है. विशाल ने राज्य प्रशासनिक सेवा में 60 वीं रैंक हासिल कर अपने परिजनों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है. विशाल कठुआ के बनी के रहने वाले हैं.
उन्होंने से बात करते हुए कहा, “मेरी प्रारंभिक शिक्षा बनी के हीं स्कूल में हुई है. इसके बाद मैं स्नातक के लिए जम्मू गया, जहां मैंने जीजीएम साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद, मैंने विश्वविद्यालय से एमएससी जूलॉजी का कोर्स किया. इसके बाद मेरी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के तौर पर डिपुटेशन हो गई और मैं जीएमसी कठुआ में अपनी सेवाएं देने लगा.”
अपनी पढ़ाई के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “बनी के एक छोटे से गांव से जीएमसी कठुआ तक का सफर और फिर प्रशासनिक सेवाओं तक पहुंचने के अनुभव को देखते हुए, मैंने काफी मेहनत की है. बनी एक पिछड़ा इलाका है, जहां शिक्षा और मार्गदर्शन की कमी थी. लेकिन, मेरे परिवार ने मुझे पढ़ाई के लिए जम्मू भेजने में पूरा सहयोग दिया. वहां मैंने ग्रेजुएशन और एमएससी की पढ़ाई की, जिससे मुझे नए विचारों और संभावनाओं का ज्ञान मिला.”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे कॉलेज और जम्मू विश्वविद्यालय से काफी अनुभव मिला, जिसने मुझे समाज के कल्याण के लिए काम करने का हौसला दिया. मैंने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के तौर पर काम करते हुए जेकेएस की तैयारी भी जारी रखी. मेरे गांव से बनी केवल 10 किलोमीटर दूर है, लेकिन, वहां तक पहुंचने के लिए कोई गाड़ी नहीं जाती. हमें पैदल एक घंटे का सफर तय करना पड़ता था, जिसमें चढ़ाई भी शामिल होती थी. मेरी शिक्षा के दौरान, हमें पैदल स्कूल जाना पड़ता था, क्योंकि वहां परिवहन की कोई सुविधा नहीं थी. अगर बनी में उचित शिक्षा की सुविधाएं होती, तो शायद मैं इस मुकाम पर पहले पहुंच जाता. केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी यह संभव हो सकता था. जब भी किसी बड़ी पोस्ट का चयन होता है, बनी का प्रतिनिधित्व बहुत कम होता है, क्योंकि यहां जागरूकता की बहुत कमी है.”
इसके बाद अपनी प्रशासनिक सेवा की तैयारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी तैयारी 2021 में शुरू हुई, और मैंने जेकेएस के लिए जूलॉजी को अपने विषय के रूप में चुना, क्योंकि मेरी एमएससी इसी विषय में थी और मुझे इसका अच्छा ज्ञान था. मैं नौकरी के बाद भी तीन से चार घंटे पढ़ाई करता रहा. जब मुझे चयन की सूचना मिली, तब मैं रात के साढ़े बारह बजे जीएमसी में नाइट ड्यूटी पर था. मेरे पिताजी ने मुझे फोन करके बताया कि मेरा चयन हो गया है और मेरी रैंक 60 है. यह मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए खुशी का मौका था, क्योंकि मैंने अपने पिताजी के सपनों को पूरा किया है.”
उन्होंने कहा, “मेरे पिताजी श्रमिक के रूप में काम करते हैं, और हम एक कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं. उन्होंने जितना संभव हो सका, मुझे पढ़ाई के लिए समर्थन दिया. अब मैं चाहता हूं कि बनी में परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं बेहतर हों. यदि ये सुविधाएं उपलब्ध हों, तो बनी के युवा हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं.”
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पीएसएम/जीकेटी