New Delhi, 31 जुलाई . दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने डिसिल्टिंग ऑडिट को लेकर ‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज पर निशाना साधा. उन्होंने एनआईए की स्पेशल कोर्ट द्वारा मालेगांव केस को लेकर सुनाए गए फैसले का भी स्वागत किया.
सचदेवा ने कहा कि हिंदू आतंकवाद की थ्योरी की हार और न्याय की जीत हुई है. झूठे केस में हिंदुओं को निशाना बनाकर फंसाया गया, जो इस केस के फैसले ने आज साबित कर दिया है.
उन्होंने कहा कि भगवा आतंक और हिंदू आतंक कहने वाले आज पूरे हिंदुस्तान से माफी मांगें, क्योंकि देश ने उस वक्त देखा था कि हिंदुओं के प्रति कांग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टी के नेताओं ने कैसे शब्दों का प्रयोग किया था. कांग्रेस ने इस देश में बहुसंख्यक समाज को बदनाम करने की कोशिश की थी, लेकिन आज जब वे कोर्ट के फैसले के बाद कामयाब नहीं हुए तो उनके नेता अब इस फैसले की अपील करने की बात कर रहे हैं.
वहीं, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जिस तरह भाजपा सरकार ने जलभराव की समस्या को काबू कर तेजी से जल निकासी सुनिश्चित की है और जनता अरविंद केजरीवाल की गत वर्ष की विफलता पर जवाब मांग रही है, उससे पूर्व मंत्री एवं आम आदमी पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज बौखला गए हैं.
सचदेवा ने कहा कि विगत 10 साल में अरविंद केजरीवाल सरकार के दिल्ली जल बोर्ड एवं लोक निर्माण विभाग लूट का अड्डा बन गए थे और डिसिल्टिंग मलाईदार कमाई का खेल था, जिसके चलते 2018 में एक नागरिक संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. केजरीवाल सरकार ने याचिका को लंबे समय तक टलवाया और 2024 में अंततः न्यायालय ने जब डिसिल्टिंग ऑडिट का आदेश दिया तो सौरभ भारद्वाज जैसे तत्कालीन मंत्री ने डिसिल्टिंग करवाने की जिम्मेदारी खुद पर नहीं ली, उल्टा इस आदेश को अधिकारियों पर आक्षेप लगाने का माध्यम बना लिया.
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि डिसिल्टिंग ऑडिट के नाम पर बयानबाजी कर रहे सौरभ भारद्वाज बताएं कि आज वह 2024 में डिसिल्टिंग न करने का आरोप अधिकारियों पर लगा रहे हैं, लेकिन डिसिल्टिंग तो 2015 से 2018 के बीच भी नहीं हो रही थी, तभी 2018 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई. सौरभ भारद्वाज दिल्लीवासियों को बताएं कि 2015 से ही दिल्ली में उनकी सरकार ने डिसिल्टिंग के नाम पर इतना भ्रष्टाचार क्यों किया, जिसके चलते एक नागरिक संगठन को डिसिल्टिंग ऑडिट की मांग को लेकर 2018 में न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
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