काठमांडू, 9 सितंबर . नेपाल की राजधानी काठमांडू और देश के अन्य शहरों में social media प्लेटफॉर्म्स पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन पर कई देशों के दूतावासों ने संयुक्त बयान जारी किया है.
ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, कोरिया गणराज्य, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के दूतावासों ने संयुक्त बयान जारी किया.
इसमें कहा गया, “हम काठमांडू और नेपाल के अन्य स्थानों पर हुई हिंसा से बेहद दुखी हैं, जिसमें प्रदर्शनों के दौरान जानमाल की हानि हुई. पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना. हम शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का समर्थन करते हैं. सभी पक्षों से संयम बरतने और हिंसा रोकने का आग्रह है.”
नॉर्वे और जर्मनी के दूतावासों ने भी बयान का समर्थन जताया. संयुक्त राष्ट्र ने भी हिंसा की निंदा की.
नेपाल में social media पर बैन के खिलाफ युवाओं का प्रदर्शन Monday को हिंसक हो गया. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर हमला किया, तोड़फोड़ और आगजनी भी की. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग की, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक घायल हुए.
यह ‘जेन जी’ का आंदोलन है, जो न केवल social media बैन, बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकारी तानाशाही के आरोप लगा रहे हैं.
सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स समेत 26 प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया था. इसका कारण बताया गया कि ये कंपनियां नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाईं और फर्जी खातों से देश विरोधी गतिविधियां हो रही हैं.
युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना. काठमांडू के मैतीघर मंडला, बनेश्वर और सिंहदरबार इलाकों में हजारों युवा सड़कों पर उतरे.
जानकारी के मुताबिक, हिंसा काठमांडू से बाहर पोखरा, दमक, चितवन और रूपंदेही तक फैल गई. कई जगहों पर सरकारी संपत्तियों में तोड़फोड़ और वाहनों में आग लगाई गई. काठमांडू जिला प्रशासन ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और Prime Minister आवास के आसपास कर्फ्यू लगा दिया. कई शहरों में सेना तैनात की गई. घायलों का इलाज काठमांडू मेडिकल कॉलेज और एवरेस्ट हॉस्पिटल में चल रहा है.
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एसएचके/एबीएम