तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चल रही जोर आजमाइश

हैदराबाद, 28 जून . कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी का कार्यकाल अगले महीने की शुरुआत में खत्म होने वाला है. इसके बाद सत्तारूढ़ पार्टी में राज्य के अध्यक्ष पद के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है.

पद के कई दावेदार दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से जोरदार पैरवी कर रहे हैं.

रेवंत रेड्डी का राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त हो रहा है. उन्होंने पहले ही नेतृत्व से किसी अन्य नेता को जिम्मेदारी सौंपने का अनुरोध किया है.

7 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही वे दो पदों पर हैं.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, तेलंगाना के पार्टी प्रभारी दीपा दासमुंशी और अन्य नेता कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और रेवंत रेड्डी, उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क, सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं.

रेड्डी समुदाय से आने वाले नेता मुख्यमंत्री है, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व पिछड़े वर्ग से किसी को राज्य अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संयुक्त आंध्र प्रदेश में जब भी कांग्रेस सत्ता में थी, तब उसने यही फॉर्मूला अपनाया था. रेड्डी को राज्य पार्टी प्रमुख नियुक्त किए जाने की संभावना नहीं है, इसलिए रेवंत रेड्डी के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले दावेदार निराश हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि जीवन रेड्डी, जग्गा रेड्डी और कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी जैसे वरिष्ठ नेता इस पद के लिए इच्छुक हैं.

रेवंत रेड्डी ने कहा कि वह नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व उचित फैसला लेगा.

राज्य की आबादी में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी करीब 50 फीसद है. वे राज्य मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं, इसलिए कांग्रेस नेतृत्व इस समुदाय से किसी नेता को राज्य प्रमुख के तौर पर नियुुुक्त कर सकता है. राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष और एमएलसी बी. महेश गौड़ को इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है. पूर्व सांसद मधु यशवंत गौड़ का नाम भी चर्चा में है.

अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय के किसी नेता को भी यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. अनुसूचित जाति से आने वाले कांग्रेस सचिव एसए. संपत कुमार एक और मजबूत दावेदार हैं. अनुसूचित जनजाति से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और महबूबाबाद के सांसद पी. बलराम नाइक को भी मौका मिल सकता है.

बताया जा रहा है कि इस पद के लिए मंत्री दानसारी अनसूया उर्फ ​​सीथक्का, पोन्नम प्रभाकर और विधायक अदलुरी लक्ष्मण के नाम भी विचार चल रहा है.

कांग्रेस नेतृत्व ऐसे नेता को प्राथमिकता दे सकता है, जो मुख्यमंत्री के साथ मिलजुल कर काम कर सके और पार्टी के भीतर सभी को स्वीकार्य हो. नए राज्य अध्यक्ष की नियुक्ति करते समय लंबे समय से लंबित मंत्रिमंडल विस्तार को भी ध्यान में रखा जाएगा.

रेवंत रेड्डी जुलाई के पहले सप्ताह में 4-5 नए मंत्रियों को शामिल कर मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं. पार्टी नेतृत्व इस कवायद में सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखेगा.

एफजेड/