झारखंड विधानसभा चुनाव में बेटे-बेटियों और पत्नियों की सियासी लॉन्चिंग में जुटे दिग्गज नेता

रांची, 6 सितंबर . झारखंड में इस बार विधानसभा चुनाव में ‘विरासत की सियासत’ के नए रंग दिखेंगे. राज्य के एक दर्जन से भी ज्यादा सांसद, विधायक, मंत्री और नेता अपने बेटे-बेटियों व पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. उन्हें पार्टियों का टिकट दिलाने की लॉबिंग शुरू हो गई है. कुछ विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां पिता-पुत्र व पुत्री ने एक ही क्षेत्र से टिकट के लिए पार्टी में बायोडाटा पेश किया है.

झारखंड के पूर्व सीएम और चार दशकों तक झामुमो के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे चंपई सोरेन ने 30 अगस्त को अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन के साथ भाजपा का दामन थामा. इस बार चुनाव में बाबूलाल सोरेन का कोल्हान प्रमंडल की किसी सीट से लॉन्च होना तय माना जा रहा है.

बताया जाता है कि चंपई सोरेन को भाजपा नेतृत्व से इसका भरोसा भी मिला है. संभव है कि भाजपा नेतृत्व चंपई सोरेन के लिए कोई अन्य सम्मानजनक भूमिका तय करे और कोल्हान प्रमंडल में सरायकेला की उनकी परंपरागत सीट पर उनकी जगह उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को उतारा जाए. कयास यह भी है कि चंपई और बाबूलाल सोरेन दोनों आसपास की सीटों पर उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं.

झारखंड की मौजूदा कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत वाले कांग्रेस कोटे के मंत्री रामेश्वर उरांव लोहरदगा सीट से चुनाव लड़ते हैं. उनकी उम्र 77 वर्ष है. उम्र के तकाजे के आधार पर उनका टिकट कट सकता है. ऐसे में वह अपने पुत्र रोहित उरांव को टिकट दिलाने की कोशिश करेंगे. इसी सीट पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत भी अपने पुत्र अभिनव भगत को उतारना चाहते हैं. अभिनव यूथ कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं और उन्होंने उम्मीदवारी की दावेदारी के साथ बायोडाटा पार्टी के पास जमा किया है.

संथाल परगना प्रमंडल की जामा सीट से तीन बार झामुमो की विधायक रहीं सीता सोरेन अब भाजपा में हैं. वह इस सीट पर अपनी पुत्री जयश्री सोरेन को भाजपा का टिकट दिलाना चाहती हैं. भाजपा के सामने दुविधा यह है कि इस सीट पर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे सुरेश मुर्मू की भी मजबूत दावेदारी है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी जयश्री सोरेन और सुरेश मुर्मू में से किसे उम्मीदवार बनाती है.

धनबाद जिले के बाघमारा से भाजपा के विधायक रहे ढुल्लू महतो अब सांसद बन चुके हैं. वह खाली हुई विधानसभा सीट पर अपनी पत्नी सावित्री देवी या पुत्र प्रशांत कुमार में से किसी एक के लिए टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. धनबाद जिले की ही सिंदरी सीट के भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो गंभीर रूप से बीमार होकर साढ़े तीन साल से हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़े हैं. अब इस सीट पर उनकी पत्नी तारा देवी दावेदारी कर रही हैं.

कोल्हान की मनोहरपुर सीट से झामुमो की विधायक रहीं जोबा मांझी लोकसभा चुनाव में चाईबासा सीट से जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं. इस सीट पर उनके पुत्र उदय मांझी झामुमो टिकट के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. झामुमो के कद्दावर नेता और महेशपुर सीट से विधायक स्टीफन मरांडी अपनी पुत्री उपासना मरांडी को सियासत में लॉन्च करना चाहते हैं. संभव है कि वह अपनी जगह बेटी को मैदान में उतारें.

पलामू जिले की विश्रामपुर सीट से भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी अपने पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी को सियासी विरासत सौंपना चाहते हैं. ईश्वर सागर इलाके में सक्रिय भी दिख रहे हैं. इसी सीट से कई बार विधायक रहे और राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि उनका पुत्र अभय दुबे उनका सियासी उत्तराधिकारी होगा और वह विश्रामपुर से चुनाव लड़ेगा.

संभावना है कि कांग्रेस उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए अभय दुबे को यहां मैदान में उतारे. हजारीबाग जिले की बरही सीट पर कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला अपने पुत्र रविशंकर अकेला को अपनी विरासत सौंपने की तैयारी कर रहे हैं. इस सीट पर पिता-पुत्र दोनों ने उम्मीवारी की दावेदारी का आवेदन पार्टी को सौंपा है.

इसी जिले की बड़कागांव सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री विधायक योगेंद्र साव और उनकी विधायक पुत्री अंबा प्रसाद ने टिकट के लिए आवेदन दिया है. पलामू की हुसैनाबाद सीट से एनसीपी के विधायक और पूर्व मंत्री कमलेश सिंह भी अपने बेटे सूर्या सिंह को सियासी विरासत सौंपना चाहते हैं. पिछले साल एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसका ऐलान भी किया था.

डाल्टनगंज सीट से पांच बार विधायक, बिहार सरकार में मंत्री और झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रहे दिग्गज राजनेता इंदर सिंह नामधारी ने पिछले चुनाव में अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. दिलीप इस बार फिर मैदान में उतरेंगे, यह तय माना जा रहा है.

इसी तरह सिमडेगा सीट पर चार बार विधायक रहे भाजपा के दिग्गज निर्मल बेसरा के बेटे श्रद्धानंद बेसरा को पार्टी ने पिछले चुनाव में उतारा था और वह महज कुछ सौ वोटों के फासले से पराजित हो गए थे. इस बार फिर वह टिकट के मजबूत दावेदार हैं.

एसएनसी/एफएम