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New Delhi, 1 नवंबर . नसों का सूज जाना (वेरिकोस वेन्स) आजकल एक आम, लेकिन गंभीर समस्या बनती जा रही है. बहुत से लोग पैरों में उभरी हुई नीली, टेढ़ी-मेढ़ी नसों को सिर्फ सामान्य परेशानी समझकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह शरीर का एक संकेत होता है कि रक्त संचरण ठीक से नहीं हो पा रहा है.
दरअसल, हमारी नसों में छोटे-छोटे वाल्व होते हैं जो खून को दिल की तरफ ऊपर ले जाने का काम करते हैं. जब ये वाल्व कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो खून नीचे की ओर जमा होने लगता है, जिससे नसें फूल जाती हैं और इसी स्थिति को वेरिकोस वेन्स कहा जाता है.
इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे लंबे समय तक खड़े या बैठे रहना, ज्यादा वजन होना, गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव या परिवार में पहले से किसी को यह समस्या होना. कई बार पुराने ब्लड क्लॉट या सूजन की वजह से भी नसें स्थायी रूप से कमजोर हो जाती हैं.
इसके लक्षणों में पैरों में भारीपन या दर्द, उभरी हुई नसें, जलन, झनझनाहट, रात में ऐंठन और त्वचा का रंग बदलना शामिल हैं. अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो आगे चलकर यह अल्सर या संक्रमण का कारण भी बन सकता है.
आयुर्वेद की मानें, तो वेरिकोस वेन्स की समस्या वात दोष के असंतुलन से उत्पन्न होती है. इसके लिए कुछ घरेलू व आयुर्वेदिक उपाय बहुत कारगर हैं. जैसे अश्वगंधा और शतावरी नसों को मजबूत बनाती हैं और रक्त प्रवाह को सुधारती हैं. गोटू कोला (मंडूकपर्णी) नसों की लचीलापन बढ़ाती है और इसे प्राकृतिक टॉनिक माना गया है. त्रिफला चूर्ण रोज रात को लेने से शरीर के विषैले तत्व निकलते हैं और रक्त शुद्ध होता है.
इसके अलावा, हर्बल ऑयल मसाज यानी अभ्यंग बहुत असरदार है. तिल का तेल, नारियल तेल या सहचरादि तेल से पैरों की हल्की मालिश करने से सूजन घटती है और खून का प्रवाह बेहतर होता है. लहसुन और नींबू का मिश्रण रक्त को पतला रखता है और थक्के बनने से रोकता है. वहीं एलोवेरा जेल पैरों पर लगाने से जलन और सूजन में राहत मिलती है.
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पीआईएम/एएस